अब उतरते ही नही आँखों में हसींन कुछ ख़्वाब
अब उतरते ही नही आँखों में हसींन कुछ ख़्वाब
ना दिल पे कोई दस्तक हमसे रूठे है कुछ ख़्वाब
हिज्र का मौसम था कुछ असर उन पर भी हुँवा
वर्ना बर्बाद मंझर से बचाये थे हमने कुछ ख़्वाब
✍️©® – ‘अशांत’ शेखर
28/03/2023