“अबला” नारी
पढ़ाई करो, करो सिलाई बुनाई भी,
खुद को बचाने को मगर, थोड़ी तैयारी भी कर लो।
होगी नहीं रक्षा तुम्हारे सम्मान की, इंस्टा की रील से,
चूड़ियां उतारो अपनी, और कर में त्रिशूल धर लो।।
शांति के गीत से हैं सुशोभित, पुस्तकों के पृष्ठ केवल,
इस धरातल से शांति की, पुस्तक हटाई जा रही है।
तुम अपनी मूंछों को ही सान देते रहे,
तुम्हारी बहन बेटियां सलमा बेगम बनाई जा रही है।।
~ विवेक शाश्वत