अबकई वोट डालबें जाने,
अबकई वोट डालबे जाने,
सोच समझ (बटन) दबाओनें,।
गलती हो गई थी जो हमसे,
बहुतई हम पछताने,।
दाबे झूटे सब थे उनके,
फिर वो यहां न चिताओंने,।
जीत वोट हमरों पाके,
इते फिर बे नई आये हैं,।
अबकई वोट डालबे जाने,
सोच समझ (बटन) दबाओंने,।
करी घोषणाएं बहुतों सारी,
ऐ कई ना कर पाओंने,।
देश में न करी इतनी रैली,
विदेशों में घूम आये हैं,।
बजट भारी और घोषणाएं सारी,
ऐ कई पूरे न हो हो पाए हैं,।
अबकई वोट डालबे जाने,
सोच समझ (बटन) दबाओंने,।
ऐ धोखा दे गए किसानों को भाई,
उनको अमीर बतलाओं हैं,।
कितनी जिल्लत झेली किसानों ने,
फसलों के दाम न चुकाएं हैं,।
कर्ज़ में डूबे देश के किसान हैं ,
कहते किसानों कर्जा माफ करना पाप हैं,।
मोटो को भगाया पैसा लेकर,
और उनका कर्जा माफ हैं,।
हाय कितना हुआ लोगों पर अत्याचार हैं,
ऐ जनहित की नहीं ऐ दोगली सरकार हैं,।
अबकई वोट डालबें जाने ,
सोच समझ (बटन) दबाओंने,।।
लेखक—-Jayvind Singh Ngariya