अप्रैल फूल बनावत बा
हुनहु के खा ल हुनसे ले ल, बम्मुआ सबके सिखावत बा।
चारो ओर खात पियत बा, कई कई रूप दिखावत बा।
होली में ही फूल बनवले अच्छे अच्छे पढ़न लिखन के,
कुछ दिन पहिले से ही बम्मुआ ,अप्रैल फूल बनावत बा।
अच्छे अच्छन के हरा दिहले ,अपने अफड्डरी बानी से।
डायरेक्ट टच में बा मुखमन्त्री के ,हिला देला रजधानी के।
न जाने के के हरावत बा, का जनी के के जितावत बा।
कुछ दिन पहिले से ही बम्मुआ ,अप्रैल फूल बनावत बा।
जेकरे ऊपर महान बम्ब के , हाथ रही उ जीती का।
अति उत्साह से भर देइ, पर हार जईले पर बीती का।
बोका खा के सोमरसी ले ,गाँवे – गाँव घुमावत बा।
कुछ दिन पहिले से ही बम्मुआ ,अप्रैल फूल बनावत बा।
जेकरे समर्थन में रहल बम्मुआ ,वोट बहुत कम गिरफ्त भईल।
जेके अप्रत्याशित जीत देत रहे ,ओकर जमानत जब्त भईल।
जेकर मुर्गा दारू पवलस ,बस उनके बात सुनावत बा।
कुछ दिन पहिले से ही बम्मुआ ,अप्रैल फूल बनावत बा।
-सिद्धार्थ पाण्डेय