Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Oct 2021 · 4 min read

अप्पन आन,की,आन अप्पन–२

गतांक स आगू……….
वाच मैंन बुढ़िया के बजौलक , बुढ़िया आयल मोहन वावू,उठि के स्वागत केलखिन,मुदा राधा बैसले रहलि,मोहन वावू पुछलखिन जे इ बंगला त हम मित्र महेश स किनने छी,महेश कहलक जे माता पिता के गुजरि गेला के बाद हम इ संपति बेचि रहल छी कारण हम अमेरिका में सपरिवार रहैत छी, रजिस्ट्री डीड में लिखल छै,मुदाआहॉ त जीवैत छी।
बुढ़िया बाजलि जे जखन सभ टा प्रपंचे केलक त हम आगा की कहू,बाप क श्राद्ध में नहि आयल सर समाज के सहयोग से संपन्न केलौ। श्राद्ध क पन्द्रह दिन बाद आयल कहलक एसगर कोना रहमे,हमरा संगे चल अमेरिका,मकान हमरा नाम पर क दे हम एक्टा कंपनी स गप्प क लेने छी,किराया पर लगा दैत छीयै किराया और पेन्शन भेटतौ,पोता पोती पुतहु संगे ओतहि रहि ऐं
हम पुत्र मोह में ओकरे हिसाबे सभटा क देलियै ओ बेचि क हमरा लक एयर पोर्ट गेल वेटिंग रूम में हमरा बैसा क कहलक लगेज चेकिंग और बुकिंग करने अबै छी,आई धरि आवि रहल अछि राति में सिक्योरिटी वला पूछ ताछ केलक कहलियै अमेरिका जेवा के अछि हमर बेटा लगेज चेकिंग बुकिंग कराने गेल अछि ओ नाम पूछलक हम अप्पन आ बेटा के नाम कहलियै,ओ पता लगा क आयल कहलक महेश नाम स त बुकिंग छै आहॉ के नाम पर नहि अछि फ्लाइट त छ:बजे टेक आफ क गेलौ।हम बुरबक त छी नहि,सभटा बात बुझि गेलियै,बुरबक त पुत्र मोह में बनलौं।रात्रि भरि वेटिंग रूम में सिक्योरिटी वला रह देलक ,भोरे बंगला पर एलौं त वाच मैं कहलक बंगला आब अहॉक नहि अछि,बिका गेल आई नवका मालिक आवि रहल छथि,साफ सफाई भी रहल छै,हम वृद्धाश्रम गेलौं सभटा आपबिती कहलियै,ओ नाम लिख क रह लेल एक्टा बेड महिला वार्ड में देलक पति के पेन्शन स वृद्धाश्रम आ अपन खर्च चलि जाइत अछि काज कोनो नहि तैं भोरे आवि के बंगला के दिन भरि निहारै छी,सांझ क आश्रम चलि जाइ छी,आश्रम के संगी सभ कहलक केस मोकदमा करू,हम कहलियै हमरा मरला क बाद त ओकरे हेतै पहिने भगेलै।
बुढ़िया बाजलि जौं आहॉ सभ के कष्ट नहि हुए त काल्हि महेश क पिता के वर्षी छैन्ह हम बंगला में हुनकर बेड रूम में कर्म करितौं हुनकर आत्मा ओहि घर में हेतैन्ह,सांझ में दीप जरा दितियैन्ह।इ बंगला हमर ससुर हमरा मुॉह देखाइ देने छलाह,एखनो संगमरमर के प्लेट पर हमर नाम खोदल अछि शारदा सदन।मोहन वावू बिना पत्नी स मशविरा केने स्वस्ति द देलखिन।
रात्रि में मोहनवावू दूनू व्यक्ति विचारलैन्ह जे किया नहि बुढ़ी के एतैहि राखिए ली,बच्ची के सेहो देख रेख भ जेतै आ बंगला स मोह छै तैं बंगला के रक्षा सेहो भ जेतै।
परात भेने बुढ़ी सभ सामग्री पंडित के संग आयलि सभटा ओररियान, कर्म क कऽ संध्या काल दीप जरा के मोहन वावू के कृतज्ञता अर्पण करैत जेवा लेल आज्ञा मागलि मोहन वावू कहलखिन जे आहॉ हमर मित्र को मॉ छियैन्ह बंगला बड़का टा छै सात टा कोठरी छै हम तीन जीव छी एक कोठरी में आहॉ रहव बंगला स मोह अछि त बंगलों सुरक्षित रहता हमर बच्चिया के दादी मॉ भेंट जेतै।बूढ़ी के आंखि हर्ष स चमैक उठलै तुरंत हॉ कहि देलकै।मोहन वावू कार निकालला राधा , बच्ची आ बूढ़ी के बैसोलैन्ह वृद्धाश्रम पहुंचला,बुढ़ी सभ के कहने घूरै जे हमर पति एक वर्ष के अंदर हमरा बेटा,पुतहु और पोती क संग बंगला तक ददेला आब हम अपन बंगला में रहव।
आब बूढ़ी मोहनवावू परिवारों सदस्य बनिए गेल,जे पेन्शन भेटै सोलहनि बाॅचि जाइ,बच्ची दादी मॉ में रितिया गेल मुदा राधा के स्नेह नहि भ रहल छलै। छ: मास बीत गेलै बच्ची कहलकै दादी मॉ परसू मम्मी पापा के मैरिज एनिवर्सरी छैन्ह,बूढ़ी के आंखि चमैक उठलै।दूनू दादी पोती विचार केला सरप्राइज देवा के।
आई ऐनिवर्सरी छै,मोहन वावू राधा काज पर बच्ची स्कूल।बूढ़ी निकलि शहर जान बुझल छलै बैंक स पाई निकाललक नीक केक खरीद लक,सजावट के सर समान किनलक,सजवै वला मजदूर के लेलक धर के धो धा क चारू दिस रूम फ्रेशनर सभ छिटवेलक,दू बजे बच्ची स्कूल से आवि गेलै,एहि काज क हमराज त बच्चीयेटा छलै।
संध्या काल काज स वापस होई काल राधा कहलकै डेरा पहुॅच क फ्रेश भ डीनर लेल होटल चलव बूढ़ी के अहि देवैन्ह अपन भोजन बना लेति,ओ त प्याज लहसून नहि खेति।विचार करैत बंगला पर पहुंचलि,बंगला के हुलिया देख अचंभित रहिगेलि,पॉच हजार स ऊपर के सजावट छलै, मोहन वावू राधा विचारलैन्ह
आब होटल के प्रोग्राम कैन्सिल,केक कटल सभ खेलक और मर मिठाई नमकीन छलै,बूढ़ी कहलखिन हम पलव,पूरी ,दालमखनी,पनीर सभ बनेने छी सभ कियो भोजन करव।राधा के आई पहिले दिन बुझेलै जे साउस की होई छै?बुढ़ी एक्टा लाल मखमल के रूमाल राधा के देलखिन राधा विस्मित होइत पुछलखिन इ की?बूढ़ी बजलि एनिवर्सरी गिफ्ट राधा फोलि क देखलि त ओहि में एक्टा सोनाक नेकलेस और हीरा के अंगूठी छलै,बूढ़ी कहलखिन हमर साउस हमरा मुॅहदेखाई देने छलि,हम अपन पुतहु के दरहल छी अगिला एनिवर्सरी रहव की नहि रहव?
जहिया सोना ढाई हजार रूपये भरि छलै तहिया हमर ससुर पच्चीस
हजार में किन्ने छलाह।राधा उठि पैर छुवि आशीष लेलक गला लगा हिचकैत बाजलि जे हमरा विवाह के ऐते दिन बाद साउस स गिफ्ट भेटल बुढ़ी के भरि पॉज धक गला लगा लगेलि हिचकैत रहलि।
आ कि तखने फोन के घंटी बजलै आई एस डी काल छलै महेश एनिवर्सरी लेल फोन केने छलै,मोहन वावू कहलखिन मित्र आहॉ त मात्र बंगले टा के पाई लेलौ हमरा त बंगला क संग बंगला के मालकिन रजिस्ट्री क देलौ,शारदा सदन क शारदा सेहो भेंट गेल।
उम्हर स फोन कटि गेलै।
इति
आशुतोष झा

Language: Maithili
221 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भक्त औ भगवान का ये साथ प्यारा है।
भक्त औ भगवान का ये साथ प्यारा है।
सत्य कुमार प्रेमी
ञ'पर क्या लिखूं
ञ'पर क्या लिखूं
Satish Srijan
चलो आज खुद को आजमाते हैं
चलो आज खुद को आजमाते हैं
कवि दीपक बवेजा
हिंदुत्व अभी तक सोया है, 2
हिंदुत्व अभी तक सोया है, 2
श्रीकृष्ण शुक्ल
हे विश्वनाथ महाराज, तुम सुन लो अरज हमारी
हे विश्वनाथ महाराज, तुम सुन लो अरज हमारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
साँवरिया
साँवरिया
Pratibha Pandey
अधूरापन
अधूरापन
Dr. Rajeev Jain
आलता महावर
आलता महावर
Pakhi Jain
"यादों के उजाले"
Dr. Kishan tandon kranti
सुख - डगर
सुख - डगर
Sandeep Pande
*पर्वतों की सैर*
*पर्वतों की सैर*
sudhir kumar
एक बार जब कोई पूर्व पीढ़ी किसी देश की राजनीति,सिनेमा या किसी
एक बार जब कोई पूर्व पीढ़ी किसी देश की राजनीति,सिनेमा या किसी
Rj Anand Prajapati
देख लो आज़ उसकी चिट्ठी आई है,
देख लो आज़ उसकी चिट्ठी आई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
धर्म खतरे में है.. का अर्थ
धर्म खतरे में है.. का अर्थ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मार मुदई के रे... 2
मार मुदई के रे... 2
जय लगन कुमार हैप्पी
अधुरे सपने, अधुरे रिश्ते, और अधुरी सी जिन्दगी।
अधुरे सपने, अधुरे रिश्ते, और अधुरी सी जिन्दगी।
Ashwini sharma
अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
Ranjeet kumar patre
मर्द की मोहब्बत औरत को हमेशा जवान रखती है जबकि मर्द से मिली
मर्द की मोहब्बत औरत को हमेशा जवान रखती है जबकि मर्द से मिली
इशरत हिदायत ख़ान
3169.*पूर्णिका*
3169.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
Mamta Singh Devaa
घर
घर
Shashi Mahajan
पीड़ाएँ
पीड़ाएँ
Niharika Verma
तुम न आये मगर..
तुम न आये मगर..
लक्ष्मी सिंह
मौन प्रेम प्रस्तावना,
मौन प्रेम प्रस्तावना,
sushil sarna
गुरु और गुरू में अंतर
गुरु और गुरू में अंतर
Subhash Singhai
* कष्ट में *
* कष्ट में *
surenderpal vaidya
😊एक दुआ😊
😊एक दुआ😊
*प्रणय*
*नेता बेचारा फॅंसा, कभी जेल है बेल (कुंडलिया)*
*नेता बेचारा फॅंसा, कभी जेल है बेल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
हमारे जीवन की सभी समस्याओं की वजह सिर्फ दो शब्द है:—
हमारे जीवन की सभी समस्याओं की वजह सिर्फ दो शब्द है:—
पूर्वार्थ
Loading...