‘अपेक्षा’
आप दूसरों से जितना प्रेम करते हैं, जैसा व्यवहार करते हैं, जरूरी नहीं कि उनकी ओर से भी समय आने पर आपको वैसा ही प्रेम और व्यवहार मिले इसलिए जितना संभव हो अपने मन के बगीचे में ‘अपेक्षा’ की घास कम से कम उगने दें। किसी से प्रेमकरना,आवश्यकता आने पर किसी की मदद करना,यह आपका स्वभाव है, दूसरे का नहीं। इसलिए अपने जैसे व्यवहार की उम्मीद दूसरे से बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। हम वह कर रहे हैं, जो हमें खुशी देता, लेकिन यह दूसरे का स्वभाव नहीं है।आप अपने स्वभाव में रहें, दूसरों को अपने में रहने दें । उनको बदलने के प्रयास में आप भी अपना स्वभाव खो बैठोगे।
GN