Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2022 · 1 min read

अपूर्णता

एक पूर्णतावादी हमेशा असंतुष्ट रहता है, और इस तथ्य को कभी नहीं समझता है कि दुनिया अपूर्ण व्यक्तियों से भरी है।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 340 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
खुश है हम आज क्यों
खुश है हम आज क्यों
gurudeenverma198
मुकेश हुए सम्मानित
मुकेश हुए सम्मानित
Mukesh Kumar Rishi Verma
भ्रम
भ्रम
Dr.Priya Soni Khare
कुछ बहुएँ ससुराल में
कुछ बहुएँ ससुराल में
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
2684.*पूर्णिका*
2684.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इतना मत इठलाया कर इस जवानी पर
इतना मत इठलाया कर इस जवानी पर
Keshav kishor Kumar
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
Ram Krishan Rastogi
सावन भादो
सावन भादो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सत्य मिलता कहाँ है?
सत्य मिलता कहाँ है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
शिव शंभू भोला भंडारी !
शिव शंभू भोला भंडारी !
Bodhisatva kastooriya
नई खिड़की
नई खिड़की
Saraswati Bajpai
पिता के प्रति श्रद्धा- सुमन
पिता के प्रति श्रद्धा- सुमन
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
हर मंजिल के आगे है नई मंजिल
हर मंजिल के आगे है नई मंजिल
कवि दीपक बवेजा
आगे बढ़ने दे नहीं,
आगे बढ़ने दे नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
डार्क वेब और इसके संभावित खतरे
डार्क वेब और इसके संभावित खतरे
Shyam Sundar Subramanian
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
Suryakant Dwivedi
■ आई बात समझ में...?
■ आई बात समझ में...?
*प्रणय प्रभात*
किताबे पढ़िए!!
किताबे पढ़िए!!
पूर्वार्थ
*रखो हमेशा इस दुनिया से, चलने की तैयारी (गीत)*
*रखो हमेशा इस दुनिया से, चलने की तैयारी (गीत)*
Ravi Prakash
"अजीब फलसफा"
Dr. Kishan tandon kranti
दिल का दर्द
दिल का दर्द
Dipak Kumar "Girja"
छोटे गाँव का लड़का था मैं
छोटे गाँव का लड़का था मैं
The_dk_poetry
वासियत जली थी
वासियत जली थी
भरत कुमार सोलंकी
विकृतियों की गंध
विकृतियों की गंध
Kaushal Kishor Bhatt
जाने कितने चढ़ गए, फाँसी माँ के लाल ।
जाने कितने चढ़ गए, फाँसी माँ के लाल ।
sushil sarna
साईकिल दिवस
साईकिल दिवस
Neeraj Agarwal
अमृतकलश
अमृतकलश
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
गर कभी आओ मेरे घर....
गर कभी आओ मेरे घर....
Santosh Soni
कहने को तो बहुत लोग होते है
कहने को तो बहुत लोग होते है
रुचि शर्मा
Loading...