मुझसे प्यार है तुम्हें ?
(प्रेमिका ने फेसबुक पर फोटो अपलोड किया और पुछा —” कैसी लग रही हूं मैं ? )…….
( प्रेमी ने प्रेमिका की फोटो पर कमेंट किया )
“तुम्हारी फोटो उतनी ज्यादा अच्छी नहीं है जितनी तुम हो।”
ओहो .. थेंक यू वेरी मच बेबी ,लव यू।
और ये कमेंट मैंने इसलिए नहीं किया कि तुम वाकई ख़ुबसूरत हो, बल्कि इस लिए किया की अपनी तारीफ सुन कर खुश होगी । सो तुम्हारी खुशी के लिए ।।
मतलब क्या है तुम्हारा। ? तुमको ऐसा क्यों लगता है ??
क्योंकि, फेसबुक पर जब कोई तुम्हारी झूठी तारीफ कर देता है तो तुम अपने आप को हूर परी जाने क्या क्या समझने लगती हो । जो की तुम हो ही नहीं ।
क्या कहना चाहते हो तुम ……क्या मैं खुबसूरत नहीं हूं ?
प्लीज़ माइंड मत करना …… पर ये 100%सच है कि तुम उतनी ही ज्यादा खुबसूरत नहीं हो जितना खुद को समझती हो ।
इसका मतलब ये कि तुमने कभी भी मेरी तारीफ दिल से नहीं की।
कैसे कर सकता था …. क्योंकि ये फीलिंग मुझे आई ही नहीं….तुम मुझे खुबसूरत लगी ही नहीं ।
( चिढ़ कर ) अच्छा तो लगे हाथ यह भी बता दो कि यदि मैं खुबसूरत नहीं हूं….. मुझे देख कर फीलिंग भी नहीं आती…. तो तुम मेरे बारे में सोचते क्या हो…… और मुझसे प्यार क्यों करते हो ????
तुम देखने में यदि खुबसूरत नहीं हो तो इसका मतलब ये तो नहीं कि तुमसे प्यार नहीं किया जा सकता?
तुमने वो कहावत तो सुनी ही होगी ” दिल लगा गधी से तो परी क्या चीज़ है ”
इसका मतलब …अब मैं गधी भी हो गई
ये तो मैंने नहीं कहा …मैंने तो सिर्फ उदाहरण दिया है।की दिल में जब कोई गधी भी बस जाए तो कोई परी भी उसकी जगह नहीं ले सकती ।
खुबसूरत तो मैं हूं नहीं……. तो ज्यादा पसंद भी नहीं होऊंगी …..गधी भी कह ही दिया … अब ईडियट, बेवकूफ,डफर आदि जो भी बचा है वह भी कह दो ।
वाकई इंटेलिजेंट हो…….. तुमने ये कैसे जान लिया …. कि मैं यह सब भी कहने वाला था । अच्छा हुआ तुमने खुद ही मान लिया , मुझे कहने की जरुरत ही नहीं पड़ी
जब इतनी निगेटिवीटी मेरे बारे में तुम्हारे अंदर है तो ये प्यार का दिखावा क्यों करते हो।
अभी तो कहा … कि दिल लगा गधी से तो परी क्या चीज़ है। और ये दिखावा नहीं है मैं सचमुच तुमसे तुमसे प्यार करता हूं।
पर क्यों करते हो जब मैं इस लायक नहीं हूं ?
ये तो मैंने कभी नहीं कहा कि तुम प्यार के लायक नहीं हो। तुम खुबसूरत नहीं हो मेरी किस्मत…..तुम बेवकूफ हो मेरी किस्मत… अब गले पड़ ही गई तो जैसी मेरी किस्मत….. क्या कर सकते हैं।
तो छोड़ क्यों नहीं देते मुझे…….!लगा गले तक आकर कुछ अटक गया है अब रोई तब रोई
कैसे छोड़ दूं.. अब जो मिला उसी में संतुष्ट होना पड़ेगा । ये सच है तुम बहुत ज्यादा खुबसूरत नहीं हो…. पर तुम्हारा मन तो सुंदर है…..! क्या हुआ तुम डफर हो… मगर तुम्हारी बातें तो खुबसूरत है ….!! क्या हुआ तुम्हें कोई बात समझने में टाइम ज्यादा लगता है पर समझ तो जाती हो……!!! सबसे बड़ी बात अब मैं तुम्हें बताता हूं । तुम्हारे जिस दिल में मैं रहता हूं वह तो खुबसूरत है ।तुमने जहां मुझे रखा है वो जगह तो खुबसूरत है …….!!!! अब इतनी सी बात भी तुम्हें समझ नहीं आती तो यही ठीक रहेगा की हम एक-दूसरे को भूल जाएं..मगर होंठों की मुस्कुराहट में शरारत की इंतहा नज़र आ ही गई।
मैं तुम्हें जान से मार डालुंगी……. तुम्हारा खुन कर दूंगी …. अगर इस तरह की बात की तो…सच समझ कर खुशी से चीख पड़ी और खुशी का साथ भला आंसू कैसे छोड़ देते …. कमबख्त छलक ही आए।
( कहने का तात्पर्य यह कि सीधी बात का महत्व उतना ज्यादा नहीं होता जितना घुमाकर कहीं गई बात का )