अपरिभाषित
क्या कहूँ क्या हो तुम, हृदय मेरा, साँस तुम,
बात नयी हास तुम, मदिर सा विलास तुम,
गीत गा रहा हृदय, गीत का आलाप तुम
रात नयी प्रात तुम, भाव का प्रवाह तुम
तुम कहीं भी रहो, संग मेरे साथ तुम,
तुम सुगन्ध तुम बसंत, व्याप्त हो दिग्दिगंत,
तुम विचार, प्यास तुम, प्रेम का विहार तुम,
लीन हो गयी जहां, सूक्ष्म बिन्दु सार तुम,
वर्ण तुम, लेख तुम, प्रणव तुम, विशेष तुम,
बह रहे हो रक्त में, प्राण तुम, प्रमाद तुम
तुम अनंग, अंग – अंग, राग-अनुराग तुम,
तुम अनंत, आदि तुम, जन्म तुम, मृत्यु तुम,
तुम यहाँ, तुम वहाँ, रूप तुम, अरूप तुम..
काम्य तुम्हीं , साध्य तुम, लाभ तुम, हानि तुम,
तुम प्रकाश, तुम तिमिर, वायु का विवेक तुम,
बुद्धि तुम, तर्क तुम, सृष्टि और विकास तुम,
एक तुम, अनेक तुम, गंधर्व, देव, यक्ष तुम,
तुम विराट तुम विशाल, सूक्ष्म अणु रूप तुम
व्याप्त तुम प्रहास में, मद्य के प्रमाद में..
मुक्त तुम, बद्ध तुम, भाव तुम, अभाव तुम,
व्यंग्य तुम, कटाक्ष तुम, दृष्टि में आकार तुम,
स्वर षडज, ऋषभ, निषाद, नाद- अनुनाद तुम,
कल्पना कवी की तुम, चित्र, चित्रकार के
नव रसों से बने शे’र , ग़ज़ल, गीत तुम
मीत – मनमीत मेरे वाक् से परे हो तुम
शब्द, स्वर , चित्र, छवि बाँच क्यों सकें तुम्हें
वायु, गंध, ज्योति, रंग शब्द में कहाँ बंधे?
#शैली