Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Oct 2023 · 1 min read

अपनों को नहीं जब हमदर्दी

अपनों को नहीं जब हमदर्दी, उम्मीद औरों से मैं क्या करुँ।
सबकी निगाह है मेरे धन पर, विश्वास किसका यहाँ मैं करुँ।।
अपनों को नहीं जब हमदर्दी—————-।।

रिश्तें में तो वो भाई है, व्यवहार मगर है गैरों जैसा।
कभी प्यार से बोले नहीं, रखते हैं मुझे गुलाम जैसा।।
मॉं- बाप होते तो देते पनाह, फरियाद अब मैं किससे करुँ।
अपनों को नहीं जब हमदर्दी—————–।।

जो भी मिला मुझको वसीयत में, चालाकी से छीन लिया।
आँसू हैं अब मेरे हिस्से में, सुख चैन मेरा जो छीन लिया।।
किया है सितम अपनों ने ही, बदनाम औरों को कैसे मैं करुँ।
अपनों को नहीं जब हमदर्दी————–।।

अब वक़्त मेरा जो आया है, रोशन हुआ है मेरा जो नसीब।
आते हैं लेने खबर मेरी रोज, रहते हैं मुझसे अब वो करीब।।
पहले नहीं क्यों पूछे हाल मेरे, अब क्यों ख्याल मैं उनका करुँ।
अपनों को नहीं जब हमदर्दी—————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
222 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दोस्त, ज़िंदगी में तीन चीजे काम करती हैं,नीति,नियम और नियत,अ
दोस्त, ज़िंदगी में तीन चीजे काम करती हैं,नीति,नियम और नियत,अ
Piyush Goel
मईया के आने कि आहट
मईया के आने कि आहट
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
The Sound of Silence
The Sound of Silence
पूर्वार्थ
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
gurudeenverma198
விடிந்தும்
விடிந்தும்
Otteri Selvakumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
एक ज़माना था .....
एक ज़माना था .....
Nitesh Shah
इतना गुरुर न किया कर
इतना गुरुर न किया कर
Keshav kishor Kumar
_कामयाबी_
_कामयाबी_
Ritu chahar
सामाजिक बेचैनी का नाम है--'तेवरी' + अरुण लहरी
सामाजिक बेचैनी का नाम है--'तेवरी' + अरुण लहरी
कवि रमेशराज
नदी तट पर मैं आवारा....!
नदी तट पर मैं आवारा....!
VEDANTA PATEL
मुझसे जुदा होके तू कब चैन से सोया होगा ।
मुझसे जुदा होके तू कब चैन से सोया होगा ।
Phool gufran
मैं फक्र से कहती हू
मैं फक्र से कहती हू
Naushaba Suriya
"If you continuously encounter
Nikita Gupta
अँखियाँ प्यासी हरि दर्शन को अब काहे की देर।
अँखियाँ प्यासी हरि दर्शन को अब काहे की देर।
पंकज परिंदा
& I lost my UPSc ka admit card
& I lost my UPSc ka admit card
Shikha Mishra
कैसे आये हिज्र में, दिल को भला करार ।
कैसे आये हिज्र में, दिल को भला करार ।
sushil sarna
Festival Of Lights Goa Parra Village
Festival Of Lights Goa Parra Village
Sonam Puneet Dubey
जो बीत गयी सो बीत गई जीवन मे एक सितारा था
जो बीत गयी सो बीत गई जीवन मे एक सितारा था
Rituraj shivem verma
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Raju Gajbhiye
कुछ लोगो की चालाकियां खुल रही है
कुछ लोगो की चालाकियां खुल रही है
पं अंजू पांडेय अश्रु
*चिकित्सा: छह दोहे*
*चिकित्सा: छह दोहे*
Ravi Prakash
बुआ छुट्टियों में जब आतीं ...
बुआ छुट्टियों में जब आतीं ...
Dr Archana Gupta
"ऐ इंसान"
Dr. Kishan tandon kranti
गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी
Surinder blackpen
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हा
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हा
Rj Anand Prajapati
बारिश की बूँदें
बारिश की बूँदें
Rambali Mishra
जीवन के पल दो चार
जीवन के पल दो चार
Bodhisatva kastooriya
दोस्ती कर लें चलो हम।
दोस्ती कर लें चलो हम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
भाव - श्रृंखला
भाव - श्रृंखला
Shyam Sundar Subramanian
Loading...