अपनों के बीच रहकर
अपनों के बीच रहकर
सुकून को तरस गई ,
चाहत के समंदर किनारे
प्यार कि कस्ती तलाशती रही
जब चाहत और प्यार में फर्क जानकर जिंदगी जीने कि तम्मन्ना हुईं
तभी मौत का पैगाम आ गया ।
अपनों के बीच रहकर
सुकून को तरस गई ,
चाहत के समंदर किनारे
प्यार कि कस्ती तलाशती रही
जब चाहत और प्यार में फर्क जानकर जिंदगी जीने कि तम्मन्ना हुईं
तभी मौत का पैगाम आ गया ।