अपने हिस्सों में आई तकलीफे किसे पसंद होती हैं।
अपने हिस्सों में आई तकलीफे किसे पसंद होती हैं।
ये मुश्किलें संघर्ष, ये गिरना, टूटना बिखरना कहां कोई मांग कर लाता हैं
और सच कहे तो सिर्फ सहने वाले को पता होता हैं अपने हिस्से के दर्दों का सच। पर ज़िंदगी कभी इस शर्त पर कहा मिली थी कि वो हमेशा
सीधी ही चलेगी और देखते ही देखते तुम कितना सह गए शायद अपनी क्षमता से भी ज्यादा। बस तुम इन सब में ख़ुद को पीछे छोड़ आए वो हसीं, वो नादानियां, वो बेफिक्री उसे ढूंढ लाओ वापस क्योंकि रास्ते ने तो कभी आसान न होने की ठानी हैं और ज़िद्दी तुम भी कम कहा चलना छोड़ोगे नहीं। तो मुस्कुराते हुए ही चलते हैं इस उम्मीद के साथ कि एक दिन शायद ज़ख़्म भी थक कर यूंही मुस्कुरा के रास्ता छोड़ जाए…..!!
#मेरीग़ज़ल