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8 Jul 2023 · 1 min read

*अपने पैरों खड़ी हो गई (बाल कविता)*

अपने पैरों खड़ी हो गई (बाल कविता)

अपने पैरों खड़ी हो गई
देखो रुत्वी बड़ी हो गई
आयु माह साढ़े नौ पाई
सुखद आत्मनिर्भरता आई
गिर-गिर कर फिर उठना सीखो
कोशिश करते हरदम दीखो

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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