अपने पथ आगे बढ़े
नया उजाला लिए हुए
हर दिन सवेरा होता है।
एक नई आशा लिए
सूरज रोज निकलता है।
इन आशाओं को बटोर
हम भी नया विश्वास भरे
एक नया उत्साह लिए
एक नया हम काम करें।
बिछड़ गए जो देशबंधु
साथ उन्हें ले चलना है
भारत मां के लाल सभी
सभी को आगे बढ़ना है।
ऊँच-नीच के भेदभाव को
जड़ से हमें मिटाना है।
दीनता के कठोर बेढ़ी से
मुक्त सभी को करना है।
एक आकाश हो सभी का
एक धरती माता हो
हिंद भूमि का हर पुत्र
भारत भाग्य विधाता हो।
ध्येय हमारा हो ऊँचा
लक्ष्य हमारा एक हो
सुकर्म बढ़ते रहे कदम
मार्ग में नहीं भेद हो।
चाँद सितारे ग्रह सभी
नित राह में आगे बढ़ते हैं
सीख ले कर इनसे हम
अपने पथ आगे बढ़े।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’