अपनी हस्ती को मिटाना
कर्ज साँसों का चुकाना सीख लो
अश्क़ आँखों में छुपाना सीख लो
जिंदगी में दूसरों के वास्ते
अपनी हस्ती को मिटाना सीख लो
मांगो मत उपकार का बदला कभी
दरिया में नेकी बहाना सीख लो
जी लिए किरदार तुम मायूस- सा
अब नया कोई फ़साना सीख लो
डालो मत घी आग की इस धार में
आग घर बाहर बुझाना सीख लो
पोटली भरती रहे उपकार की
सज्जनों वाला तराना सीख लो
दर्द के घेरे हैं चारों ही तरफ़
बस हँसी अपनी लुटाना सीख लो
जब घिरे तूफान तो कुछ गम न हो
रोज खुद से मुस्कुराना सीख लो
दूसरों पर लेखनी का अब सुधा
रंग अपना भी जमाना सीख लो
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
10/1/2023
वाराणसी©®