अपनी सीमाओं को लान्गां तो खुद को बड़ा पाया
अपनी सीमाओं को लान्गां तो खुद को बड़ा पाया
भले ही मैंने खुद को अकेला खड़ा पाया
जिस रास्ते के आगे कोई रास्ता नहीं जाता था
मैंने खुद को उससे भी आगे खड़ा पाया !
कवि दीपक सरल
अपनी सीमाओं को लान्गां तो खुद को बड़ा पाया
भले ही मैंने खुद को अकेला खड़ा पाया
जिस रास्ते के आगे कोई रास्ता नहीं जाता था
मैंने खुद को उससे भी आगे खड़ा पाया !
कवि दीपक सरल