Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2023 · 1 min read

अपनी सीमाओं को लान्गां तो खुद को बड़ा पाया

अपनी सीमाओं को लान्गां तो खुद को बड़ा पाया
भले ही मैंने खुद को अकेला खड़ा पाया

जिस रास्ते के आगे कोई रास्ता नहीं जाता था
मैंने खुद को उससे भी आगे खड़ा पाया !

कवि दीपक सरल

2 Likes · 570 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ऐसा लगा कि हम आपको बदल देंगे
ऐसा लगा कि हम आपको बदल देंगे
Keshav kishor Kumar
गंगा- सेवा के दस दिन (आठवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (आठवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
स्नेह का बंधन
स्नेह का बंधन
Dr.Priya Soni Khare
बेटी
बेटी
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
श्रेष्ठ वही है...
श्रेष्ठ वही है...
Shubham Pandey (S P)
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
Ajit Kumar "Karn"
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
4212💐 *पूर्णिका* 💐
4212💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दर्द  जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
दर्द जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
Ashwini sharma
जिंदगी को बोझ मान
जिंदगी को बोझ मान
भरत कुमार सोलंकी
भरोसा सब पर कीजिए
भरोसा सब पर कीजिए
Ranjeet kumar patre
आओ!
आओ!
गुमनाम 'बाबा'
ओ माँ मेरी लाज रखो
ओ माँ मेरी लाज रखो
Basant Bhagawan Roy
ना रहीम मानता हूँ ना राम मानता हूँ
ना रहीम मानता हूँ ना राम मानता हूँ
VINOD CHAUHAN
मोक्ष
मोक्ष
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
आशा ही निराशा की जननी है। - रविकेश झा
आशा ही निराशा की जननी है। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
आप सभी सनातनी और गैर सनातनी भाईयों और दोस्तों को सपरिवार भगव
आप सभी सनातनी और गैर सनातनी भाईयों और दोस्तों को सपरिवार भगव
SPK Sachin Lodhi
वह आवाज
वह आवाज
Otteri Selvakumar
स्थिरप्रज्ञ
स्थिरप्रज्ञ
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
"You will have days where you feel better, and you will have
पूर्वार्थ
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"वक्त की बेड़ियों में कुछ उलझ से गए हैं हम, बेड़ियाँ रिश्तों
Sakshi Singh
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
Neelofar Khan
कागज़ ए जिंदगी
कागज़ ए जिंदगी
Neeraj Agarwal
नसीबों का मुकद्दर पर अब कोई राज़ तो होगा ।
नसीबों का मुकद्दर पर अब कोई राज़ तो होगा ।
Phool gufran
मात भारती
मात भारती
Dr.Pratibha Prakash
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
Subhash Singhai
दुनियां कहे , कहे कहने दो !
दुनियां कहे , कहे कहने दो !
Ramswaroop Dinkar
अपवित्र मानसिकता से परे,
अपवित्र मानसिकता से परे,
शेखर सिंह
कह रहा है वक़्त,तुम वफादार रहो
कह रहा है वक़्त,तुम वफादार रहो
gurudeenverma198
Loading...