अपनी इन दिनों यारी (भक्ति गीत)
अपनी इन दिनों यारी (भक्ति गीत)
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तुम्हारे साथ में क्या खूब अपनी इन दिनों यारी
(1)
जरा कुछ पास में बैठो, न मैं बोलूँ न तुम बोलो
मुँदी हो आँख दोनों की, न मैं खोलूँ न तुम खोलो
समय को बीतने देना, न करना कोई तैयारी
तुम्हारे साथ में क्या खूब अपनी इन दिनों यारी
(2)
बिना संस्पर्श के जैसे मैं तुमको छू रहा होता
पता आने का चलता है नशा जैसे बहा होता
बड़े ताज्जुब की बातें हैं न कोई शक्ल तुम्हारी
तुम्हारे साथ में क्या खूब अपनी इन दिनों यारी
( 3 )
चले आते हो तो जैसे सभी कुछ मिल गया मानो
तुम्हारा साथ लगता है हमेशा कुछ नया मानो
मुलाकातें हैं शायद यह हजारों साल से जारी
तुम्हारे साथ में क्या खूब अपनी इन दिनों यारी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451