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21 May 2024 · 1 min read

*अपना सरगम दे जाना*

अपना सरगम दे जाना

हर आह में दबी हुई आवाज
गीत बन जाती है।
हर शायर की शायरी को
अल्फाज दे जाती है।
तड़पते हैं शब्द मेरे तेरे हुस्न की
तारीफ करने को,
गुनगुनाते हैं धून,
तुम्हारे लिए संगीत बनाने को
मेरे संगीत में तुम अपना
सरगम दे जाना।
मेरे लफ्जों को तुम
एक नया अंदाज दे जाना।
मेरे गीत के अधूरे स्वर पूरे कर जाना।
इतनी सी आरजू मेरी पूरी कर जाना।
मेरे संगीत में तुम अपना
सरगम दे जाना।

रचनाकार
कृष्ण मानसी
मंजू लता मेरसा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

Language: Hindi
Tag: Poem
88 Views

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