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18 May 2024 · 1 min read

अपना सकल जमीर

नैतिकता की आजकल,पीटें वही लकीर ।
बैठे हैं जो बेच कर,अपना सकल ज़मीर ।।

रखी किसी से आपने,ज्यादा ही उम्मीद ।
बदले में अहसान के, लेगा तुम्हे खरीद ।।
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
1 Like · 83 Views
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