“ अपना मुझे बना लो सनम”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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तुम दिल से कुछ कहो तो ,
कोई बात बन सके !
अपना मुझे बना लो सनम ,
कोई बात तब बने !!
थी आरजू दिलों की मेरी, तेरे साथ मैं जियूँ !
हाथों में हाथ डाल के मंजिल को तय करूँ !!
थी आरजू दिलों की मेरी, तेरे साथ मैं जियूँ !
हाथों में हाथ डाल के मंजिल को तय करूँ !!
तुम साथ सिर्फ चलो तो ,
कोई बात बन सके !
अपना मुझे बना लो सनम ,
कोई बात तब बने !!
आँधियाँ आए कहीं तो उसको भी झेल लूँ !
तेरे खिलते चेहरे से राहों को रोशनी करदूँ !!
आँधियाँ आए कहीं तो उसको भी झेल लूँ !
तेरे खिलते चेहरे से राहों को रोशनी करदूँ !!
प्यार की बात करो तो,
कोई बात बन सके !
अपना मुझे बना लो सनम ,
कोई बात तब बने !!
तेरे साथ रहकर हमारे दिन सुधार जाएंगे !
रहेंगे साथ हम दोनों कभी ना दूर जाएंगे !!
तेरे साथ रहकर हमारे दिन सुधार जाएंगे !
रहेंगे साथ हम दोनों कभी ना दूर जाएंगे !!
मिलन की बात हो तो ,
कोई बात बन सके !
अपना मुझे बना लो सनम ,
कोई बात तब बने !!
तुम दिल से कुछ कहो तो ,
कोई बात बन सके !
अपना मुझे बना लो सनम ,
कोई बात तब बने !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
19.10.2021.