अपना बनाऊंगा_ सपना सजाऊंगा — घनाक्षरी
लहरा के चलती है बल खा के चलती है।
चाल है मस्तानी तेरी,अपना बनाऊंगा।।
घूंघट हटा दे जरा,मुखड़ा दिखा दे तेरा।
कारे – कारे नयनों से,कजरा चुराऊंगा।।
बैठ पास तू तो मेरे,लूंगा पूरे सात फेरे।
घरवाले तेरे – मेरे ,सबको बुलाऊंगा।।
तू ही मेरी जान गोरी, मान मान बात मोरी।
तेरी रजामंदी से ही,सपना सजाऊंगा।।
राजेश व्यास अनुनय