अपना पीछा करते करते
अपना पीछा करते करते
आगे की सुद भूल गए हो
चलते मुसाफिर हो तुम!
मालिक होने की भूल किये हो
“मैं” की मलकीयत थामें-थामें
अपनों से ही दूर हुए हो
नफरत रंजीश पाले बैठे
खुद में कुपा सा फूल गए हो
संगीता बैनीवाल
अपना पीछा करते करते
आगे की सुद भूल गए हो
चलते मुसाफिर हो तुम!
मालिक होने की भूल किये हो
“मैं” की मलकीयत थामें-थामें
अपनों से ही दूर हुए हो
नफरत रंजीश पाले बैठे
खुद में कुपा सा फूल गए हो
संगीता बैनीवाल