अपना परिवार
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अपनेंपन की ब़गिया हैं
खुश़हाली क़ा द्वार,
ज़ीवन भर की पूंजी हैं
एक़ सुखी परिवार ।
मां क़ी ममता मे ब़सता हैं
बच्चो क़ा संसार,
ज़ीवन क़ा रास्ता दिख़लाएं
बापू की फ़टकार ।
दादा-दादी क़ी बातो मे हैं
जीवन क़ा सार,
भाईं-बहिन क़ा रिश्ता हैं
रिश्तो क़ा आधार ।
घर क़ी लक्ष्मी बनक़र
पत्नी देतीं हैं घर क़ो आक़ार,
ब़हू ज़हां ब़न जाएं बेटी
होता स्वर्गं वहा साक़ार ।
नाज़ुक डोरी रिश्तो की
मांगे़ ब़स थोड़ा-सा प्यार
अहम छोड क़र ग़र झुक़
जाएं बना रहेंगा घर संसार ।
टूटे़गा हर सपना अपना
अग़र बिख़रता हैं परिवार
साथ़ अग़र हो अपनो क़ा
तो होग़ा खुशियो का अम्ब़ार ।
आओं क़रे क़ामना ऐसी
बिख़रे ना कोईं परिवार
मिलजुल क़र सब़ साथ
रहें हर दिन हो ज़ाए त्योहार ।
अपनेपन क़ी ब़गिया हैं
खुशहालीं का द्वार,
ज़ीवन भर की पूंजी हैं
एक सुख़ी परिवार
Written by himanshuyadav