अपना देश
आओ अपने देश वापस चलते हैं….
फिर वहां जाके बसर करते हैं
यू तो कोई भी नहीं
जिसको हमारां इंतजार होगा….
फिर भी ये क्या कम है..
के
अपना घर तो होगा…
कुछ तो अबो-हवा
तबदील होगी…
कुछ तो मौसम नया नया होगा..
कुछ अधूरा काम
भी पूरे करने होंगे.
कुछ अच्छे लोगो
से भी मिलना होगा…
.ना मुमकिन सी कुछ
बातो को मुमकिन करना होगा
ये काम भी हमे ही तो
करना होगा
…
बढ़े इल्ज़ाम दिये हैं
ज़माने
वालो ने ..अब सब को झूठा
सबित करना होगा।
हमे ये भी करना होगा ….शबीनाज