#अपनाएं_ये_हथकंडे…
#अपनाएं_ये_हथकंडे…
■ ताकि आने से पहले डेढ़ सौ बार सोचे मेहमान।
【प्रणय प्रभात】
तमाम कलियुगियों के मुताबिक गर्मी का मौसम मुसीबत का मौसम है। क़बाब में हड्डी, रंग में भंग वाला। वो भी अवांछित से मेहमानों की वजह से। जो न केवल धरती का बोझ बन कर आते हैं, बल्कि बेढर्रा जीवन में ख़लल भी पैदा करते हैं।
ऐसे मेहमानों की आमद पर रोक लगाने के कुछ देखे-परखे नुस्खे यहाँ प्रस्तुत हैं। जो न केवल प्रभावी बल्कि अचूक हैं। आप एक बार आज़मा कर तो देखें। इसके बाद वही मेहमान एक बार आने से पहले डेढ़ सौ बार सोचने पर न केवल मजबूर होंगे, वरन अपना इरादा भी बदल देने में भलाई समझेंगे। अज्ञानी बाबा के झोले से निकले महाज्ञान के सिद्ध मंत्र कुछ इस प्रकार हैं।
■ सबसे पहले टॉयलेट, बाथरूम आदि की टोंटियों को कुछ दिनों के लिए सुधरवाने का विचार स्थगित कर दे। ताकि पानी की किल्लत उजागर हो सके। वो भी इस हद तक कि नहाना दूर, धोना तक दूभर हो जाए।
■ घर के किसी हिस्से मैं एक भी हेंगर, कील, खूँटी, अलगनी, बिलगनी कपड़े लटकाने के लिए ख़ाली न छोड़ें।
■ इसी तरह हरेक चार्जिंग पॉइंट में चार्जर ठूँस कर कोई न कोई मोबाइल, ईयरफोन या अन्य उपकरण अटकाए रखें। यथा चार्जिंग लाइट, लेपटॉप आदि आदि। चाहे वो पहले से चार्ज्ड हों या ख़राब।
■ टीव्ही, अख़बार, मैगज़ीन आदि मेहमान की पहुँच से दूर रखें। डिस्क या केबल कनेक्शन डिस्चार्ज या डिस्कनेक्ट बना रहे तो बात ही क्या? टीव्ही चलानी ज़रूरी हो तो मनपसंद चैनल लगा कर रिमोट ग़ायब कर दें।
■ कूलर में पानी का उपयोग कम करें तथा जल संकट का गीत गाते रहें। बिजली बिल ज़्यादा आने का रोना रोते हुए कूलर-पंखे बन्द करते रहें। बिना शर्म किए।
■ घर के हर हिस्से में सामानों को बेतरतीबी के साथ ऐसे फैलाएं कि घर एक अजायबघर का रूप धारण कर ले और अगले को कमर सीधी करना तो दूर पुट्ठे टिकाने की जगह मुश्किल से मिल पाए।
■ अपनी जीवनशैली को उबाऊ और पकाऊ बनाते हुए दिनचर्या रूपी घड़ी का सेल निकाल कर रख दें, ताकि सब कुछ अस्त-व्यस्त हो जाए। मसलन सुबह की चाय दोपहर 12 बजे, ब्रेकफास्ट दोपहर 3 बजे, लंच शाम 6 बजे और डिनर रात 12 बजे। वो भी फ़ास्ट-फ़ूड टाइप, जो रात भर पेट में गड़गड़ाहट बनाए रखे।
■ दिन भर इधर-उधर फैलाए गए साजो-सामान को समेटने का ढोंग डिनर के बाद शुरू करें। अकारण एक कमरे से दूसरे कमरे तक भागादौड़ी जारी रखें। वो भी धमाचौकड़ी वाली स्टाइल में। ताकि मेहमान को नींद तो दूर झपकी तक लेना दुश्वार हो जाए। उसकी आती नींद को उड़ाने के लिए किसी न किसी तरह की कर्कश आवाज़ ज़रूर पैदा करते रहें।
■ मेहमान के कमरे सहित आसपास की तेज लाइट चालू-बंद करने का सिलसिला भी चलता रहे तो सोने पर सुहागा। दरवाजों को इस गति से खोलते बंद करते रहें कि आँखों और दिमाग़ को बोझिल तथा शरीर को निढाल बनाती नींद काफ़ूर हो जाए।
■ इसके बाद खाए-पिए को पचाने और अपनी घटिया आधुनिकता का परिचय देने के लिए सड़क पर निकल लें। कर्कश आवाज़ मैं बोलने के आदी अपने बच्चों को भी रात के दूसरे पहर की इस बेहूदा तफ़रीह का हिस्सा बनाएं। बिल्कुल निशाचर की तरह, जो घर के माहौल को दंडक वन बना दें।
■ तक़रीबन आधा घंटे के सैर-सपाटे के बाद उच्च स्वरों में वार्तालाप और उन्मुक्त अट्टहास करते हुए घर में दाखिल हों। संभव हो तो सो चुके मेहमान को जगा कर अच्छे से नींद आने न आने के बारे में ज़रूर पूछ लें। इससे आपकी मेहमान-नवाज़ी का अंदाज़ कुछ और क़ातिलाना हो जाएगा।
■ किसी तरह के दर्द या विकार की दवा लेकर सोए मेहमान को जगा कर दवा से आराम आने न आने की पूछ-परख ज़रूर करें। इससे आपकी वेदनाशून्य व भोंडी संवेदनशीलता स्वतः उजागर होगी। जो अगले को हमेशा याद रहेगी।
■ इसके बाद बारी-बारी से लघु और दीर्घशंकाओं के निवारण का क्रम चलने दें। ब्रह्म-मुहूर्त के बाद आराम से सोने का मूड तब बनाएं जब मेहमान का आराम पूरी तरह से हराम हो चुका हो। इसका पता आपको उसके खर्राटों से नहीं बल्कि आहों-कराहों से ख़ुद-बख़ुद चल जाएगा।
■ अगली सुबह धूप चटखने के बाद जाग कर आलस व थकान से उबरने के नाम पर इधर-उधर गिरते-पड़ते रहिए। नित्यक्रिया के दोनों ठिकानों को लगातार क़ब्ज़े में बनाए रखिए। यह दौर अगले ब्रेकफास्ट के ठंडे और बेस्वाद होने तक चल पाए तो कहने ही क्या?
■ ख़ुद को महानतम व्यस्त दिखाने में कोई कोर-कसर न छोड़ें। किसी न किसी काम के बहाने सैर-सपाटा, चाट-पकोड़ी, कुल्फी-फालूदा चट कर आएं। वापस घर में दाखिल होते समय चेहरे पर तनाव और थकान दिखाने की कोशिश करें। एकाध डायलॉग का ठीकरा घोर आर्थिक मंदी और आसमानी मंहगाई के सिर पर ज़रूर फोड़ें। ताकि सामने वाले को अपने आ टपकने पर आत्मग्लानि या अपराधबोध होता रहे।
■ मेहमान को घूमने-फिरने जाना हो तो रास्ता बता कर रवाना करें। किसी काम का बहाना बना कर साथ जाने से बचें। ताकि आने-जाने के भाड़े और खाने-पीने के खर्चे से निज़ात मिले। गाड़ी घर की हो तो ड्राइवर को काम वाली बाई की तरह एकाध दिन की छुट्टी दे दें तथा गाड़ी पर कव्हर चढ़ा दें। यह लगना चाहिए कि उसमें कोई तकनीकी ख़राबी आई हुई है। जिसे आप समय के अभाव में सुधरवा नहीं पा रहे हैं
एकाध दिन की इस नौटंकी की क़ामयाबी आपको न केवल आने वाले तमाम सालों की आपदा से बचाएगी बल्कि अपने अंदाज में जी पाने की मोहलत भी मुहैया कराएगी। दो-चार दिनों के लिए आया मेहमान एकाध दिन भी ढंग से नहीं टिक पाएगा और हमेशा के लिए तौबा कर जाएगा।
इतना न कर पाएं तो अपना बोरिया-बिस्तर ले कर ख़ुद किसी का मेहमान बनने के लिए कूच कर जाएं। वो भी किसी ऐसे के घर, जिसकी सोच आपसे बिल्कुल उलट हो और आप मेहमानी ख़िदमत से वंचित न हों। आगे आपकी अपनी क़िस्मत…!!
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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