अन-मने सूखे झाड़ से दिन.
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२१२२ १२१२ २
अन-मने सूखे झाड़ से दिन.
तुम सजा लो कबाड़ से दिन
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है पुरानी कमीज अपनी
सर्द काँपे है हाड़ से दिन
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जाने कैसे तो काटेंगे हम
अब जुदा हो, पहाड़ से दिन
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छाँव आती नही, जरा भी
हैं अजूबे, ये ताड़ से दिन
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लूट गजनी की हो गई है
बस्ती भारी उजाड़ से दिन
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)
susyadav7@gmail.com
7000226712
3.4.24