अन्नदाता
इसे एक विडंबना ही कहूंगा कि मैं उस हम उम्र वृद्ध , समृद्ध किसान को जो मुझे नियमित रूप से अपनी कमजोरी के लिए दिखाता रहता था मैं इतनी विज्ञान की प्रगति से उपलब्ध जांचों तथा अपने जीवन भर के अनुभवों को जोड़ने बावजूद उसकी कोई तजवीज़ (diagnosis ) नहीं बना सका था । हर बार वह लंबा चौड़ा ऊंची कद काठी वाला व्यक्ति पजामा कुर्ता , जूता पहनकर मेरे सामने एक चिकित्सीय पहेली बनकर मेरे सामने बैठ जाता था । हर बार की तरह इस बार भी उसने जब कहा कि मुझे कमजोरी रहती है तो मैंने उसका परीक्षण किया और उसे संतुष्ट करने के लिए गहन आत्मचिंतन की मुद्रा ओढ़ कर बगलें झाँकने लगा। मैंने पाया कि जब कभी भी वह आता था उसके और उसके साथ आने वाले लोगों के एक ही संरचनात्मक रूप में सिर के बाल बहुत बारीकी से कटे हुए होते थे तथा मूछें नुकीली एवम पतली होती थीं । यही नहीं प्रायः मैंने यह देखा था कि उस गांव की दिशा से आने वाले पुरुषों एवं बच्चों के बालों और दाढ़ी मूछों में एक समान यही केश विन्यास रहता था । अब उसे यह प्रदर्शित करते हुए कि मैंने उसकी बीमारी पकड़ ली है पसन्न विजयी भाव से तथा अपने कौतूहल को अंदर दबाते हुए अपनी आत्मतुष्टि के लिए प्रश्न किया
‘ यह आप अपने बाल और दाढ़ी मूछें कहां बनवाते हैं ? ‘
उसने कहा अजी हम कहीं बाल कटवाने या दाढ़ी बनवाने नहीं जाते हैं हमारे घर मैं तो बरसों से हमारे गांव का नाई ( नउआ ) घर पर आकर बाल काट जाता है ।
मैंने फिर उससे पूंछा
‘ वह बाल काटने के कितने पैसे लेता है ? ‘
वह बोला हम लोग बाल कटवाने और दाढ़ी मूछें बनवाने के लिए उसे कोई पैसे नहीं देते हैं , पर साल में दो बार जब हमारी फसल कटती है तो मेरे परिवार के में जितने सिर ( heads ) होते हैं उसके हिसाब से प्रति सर 5 किलो अनाज उसको दे देते हैं अर्थात यदि 8 लोग घर में हैं तो 40 किलो अनाज उसे देते हैं , इसमें यह निहित है कि घर के बच्चों के बाल वह फ्री में काटेगा ।
मैंने पूछा कितने कितने समय के अंतराल पर आप अपने बाल कटवाते हो ?
वह बोला
‘ अजी जब घर का ही नाई है तो वह हर हफ्ते आ करके सबके बाल काट जावे है । ‘
मैंने पूछा
‘ बच्चा जब तक बच्चा , बच्चा है उसके बाल फ्री में कटते रहते हैं पर जब वह बड़ा हो जाए और शादी ना करे तो क्या उसके बुढ़ापे तक उसके बाल वह नाई मुफ्त में काट देगा ? ‘
वह बोला
‘ नहीं बड़े होने पर जिसकी पहचान उसकी दाढ़ी मूँछों के निकलने से तय की जाय गी तब उसका सिर भी गिना जाएगा ।’
फिर मैंने उसकी दिनचर्या के बारे में उससे पूछा तो उसने बताया कि वह सुबह 4:00 बजे उठ जाता है और एक लोटा पानी पीकर अपने खेतों में घूमने चला जाता है और अपने खेतों का चक्कर लगाने के बाद घर आकर फिर नहा धोकर खा पी कर तैयार होकर वह खेतों पर चला जाता है और गन्ने की कटाई करवाने तथा उसे ट्राली में लदवाने आदि के कार्य की निगरानी एवं मदद करता है । दिन भर के कार्य को निपटा कर शाम को 6 बजे तक खाना खाकर अगले दिन के लिए सो जाता है ।
मैं उससे कहना चाहता था कि इस उम्र में अब और कितनी ताकत तुम्हें चाहिये और उस ताकत का करो गे क्या ? तुम बिल्कुल स्वस्थ हो और मेरे से ज्यादा स्वस्थ हो । पर यह प्रश्न कुछ ज्यादा ही व्यक्तिगत हो जाता और इससे उसका मनोबल भी कम हो जाता ।वह शारीरिक कमजोरी दूर करने की उम्मीद लिए मेरे पास आया करता था और उसे स्वस्थ घोषित कर देने से उसकी मेरे द्वारा और ताकत प्राप्त करने की उम्मीदों पर पानी फिर जाता । मैं सत्यता बता कर उसे भविष्य में निराश और सम्भवतः अपना नुकसान नहीं करना चाहता था । क्योंकि हम सब और यह दुनिया उम्मीद पर कायम है और हम सबकी उम्मीदें पूरी करने वाला वह ईश्वर है , मुझे किसी से उसकी उम्मीद छीनने का कोई अधिकार है नही । कभी कभी असाध्य एवम मृत्यु के सन्निकट रोगी मेरे से टकरा जाते हैं , भगवान न करे मैं कभी किसी के जीवन की उम्मीदों पर तुषारापात करने का माध्यम बनूं ।