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31 Jan 2024 · 1 min read

अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।

अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।
मिले मृदा में तो सभी, लगे दिखाने प्रीत ।
संसारी संबंध सब, उस घट तक हैं साथ –
हो जाते ओझल सभी, मीत निभा कर रीत ।

सुशील सरना /31-1-24

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