अन्तरराष्ट्रीय योगदान पर एक कविता
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
पर
एक कविता
‘योग’ का अर्थ है दोस्तों जोड़ना ।
ध्यान से ज्ञान से तन में मन खोजना।।
अतिक्रमण इंद्रियों का सहज तोड़ना।
यम नियम आसनों से है रुख मोड़ना।।
अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका, शीतली।
सूक्ष्म व्यायाम ऊँ की ध्वनि डीपली।।
कपालभाति से हमने समर जीत ली ।
सूर्य नमस्कार ऋषियों से सीख ली ।।
सूर्योदय से उठो, योग रोज करो।
हर रोग भगा करके मौज करो।।
दर्द की सब दवा योग में खोज लो।
योगेश्वर कृष्ण सा, अब ओज भरो।।
विश्व में भारतीयों का मान हो ।
योग गुरुओं में भारत की शान हो।।
स्वस्थ तन- मन, जन- जन का प्राण हो ।।
योग की साधना का सदा मान हो ।।
स्वरचित
डाॅ.रेखा सक्सेना
21-06-22