अनोखी दोस्ती
अनोखी दोस्ती
सुबह से शाम हो गई थी लेकिन चंचल गौरैया का अभी तक कुछ भी अता पता नहीं था। चीकू खरगोश और चंचल गौरैया रोजाना रोज गार्डन में सुबह आम के पेड़ के नीचे मिलते थे। उन दोनों में गहरी मित्रता थी। दोनों भले ही मूक बधिर थे लेकिन दोनों कनखियों से ही बातें कर लिया करते थे। अपने सुख-दुख को सांझा कर लिया करते थे।
आज चंचल गौरैया की अनुपस्थिति चीकू को बहुत खल रही थी। उसके न आ पाने का क्या कारण रहा होगा, वह कुछ भी अंदाजा लगा पाने में असमर्थ था। काफी लंबे इंतजार के बाद वह मायूस होकर वहां से चल दिया। तभी अचानक उसे चंचल गौरैया की रूदन आवाज सुनाई दी। आवाज सुनकर वह सकपकाया और तुरंत चंचल गौरैया की आने वाली आवाज की दिशा की ओर दौड़ा। थोड़ी दूरी पर जाकर उसने देखा कि एक चालाक बहेलिया चंचल गौरैया को पकड़ कर ले जा रहा था। गौरेया छटपटा रही थी। चीकू खरगोश समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या करे। सोचने-विचारने का ख्याल छोड़कर उसने त्वरित निर्णय लिया और उस बहेलिए पर झपट पड़ा। बहेलिया दूर जा गिरा और चंचल गौरैया उसके हाथों से छूट गई। चंचल गौरैया आजाद हो गई थी। वह फुर्र से उड़ गई। चीकू खरगोश भी कुलाचें भरता हुआ रोज गार्डन जा पहुँचा। चंचल गौरैया भी रोज गार्डन आ गई थी और आम के पेड़ के नीचे चीकू खरगोश का इंतजार कर रही थी। दोनों की खुशी का ठिकाना नहीं था।