अनुभव-मेरे जीवन का-4
सहने की भी हद होती है ,
दिल तो नाजुक होता है ,
दुख नहीं बर्दाश्त होता तो ,
नैन भी तो बरसते हैं l
क्या बोलूँ , क्या सोचूँ ,
क्या करूँ कुछ पता नही ,
मनोहर हाल ए दिल बताऊँ क्या ,
दिल में क्या कुछ पता नही l