अनुप्रास अलंकार घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
8,8,8,7
चाँद सी चकोरी गोरी, गोरी रूप रँग में है,
कोरी कोरी अखियाँ में, कजरा कमाल है।
कमली कमाल कंठ, कोयल को करे क्रुद्ध
कोमल कुलीन अंग, रूप भी जमाल है।।
चंचल चपल नैन, देख गोरी गोरिये के,
सूने सूने दिल हाय मचती धमाल है।
गोरी चोरी चोरी से ही, चैन चित्त को चुराय,
चोरी से ही आशिकों का, करती हलाल हैं।।
अदम्य