अनाथ भाग 2
राज़ पैकेट लेकर अपने घर आ जाता है। वो घबराया हुआ आंगन में बैठा उसी बच्ची के बारें में सोचना शुरू कर देता है। तभी राज़ की पत्नी कल्याणी उसके पास आती है और पानी थमाकर परेशान होने की वजह पूछती है। पहले तो राज़ कुछ नही बोलता पर बहूत देर तक चिंतित रहने के बाद और मन में फैले गुब्बार के कारण बोल पड़ता है।
‘क्या मैं सही कर रहा हूँ?’ राज़ ने कल्याणी से पूछा
‘ मतलब? ऐसा कौन सा काम कर रहे हो?’ कल्याणी ने सवाल किया
राज़ उठता है और अंदर से बेग में रखी हुई बंदूक को निकाल सामने रख देता है। कल्याणि देखती है और थोड़ा रुक जाती है। उसे सब कुछ पता रहता है।
‘मुझे अक्सर एक आवज़ सुनाई देती है’,राज़ ने मायूसी से कहा,’ जब भी किसी को मारने जाता हूँ तो हाथ कांपने लगते हैं।’
‘ तो फिर तुम ये काम क्यों कर रहे हो?’
‘नही धीरज को मेरी जरूरत है। मुझे जाना होगा, वो पैकेट कहां है?’
राज़ पैकेट उठाता है और चला जाता है।
एक तरफ पुलिस को उस गैंग के बारे में सब पता रहता है, लेकिन फिर भी वो चुप रहती है। पर उनमे से इंस्पेक्टर शशि बिल्कुल अलग।,वो सवाल कर बैठता है
‘ सर अगर हमे सब मालूम है तो उन्हें पकड़ क्यों नही लेते?’
सब उसकी और देखते हैं और व्यंग करते हुए हसने लगते हैं। पर शशि चुप रहने वालों में से कहाँ, वो बोल पड़ता है
‘मुझे सब मालूम है कि आप सब और बड़े अधिकारी उनके धंधे में शामिल हो, और यह भी कि कौन कौन उनसे कितने ऑक्सीटोसिन लेता है।’
‘ ऑक्सीटोसिन? ये क्या बात कर रहे हो बच्चे’,एसीपी ने उसकी तरफ घूरते हुए कहा,
‘ वैसे भी उससे क्या फर्क पड़ता है। देखो अभी तुम नए हो, तुम्हें एक बात समझ लेनी चाहिए कि कोई अपराध तब तक अपराध नही होता जब तक कि कानून को पता न चले, मेरे और तुम्हारे जानने से क्या। मगर क्या करें कानून तो ….’
शशि नाराज़गी दिखाता है और वहां से चला जाता है।
उधर राज़ , धीरज के पास पहुंचता है और वो पैकेट दे देता है।
‘हमे तो सिर्फ यह पैकेट चाहिए था तो फिर उसको मारने की क्या जरूरत थी।’राज ने धीरे से गुस्से में कहा
‘ क्या? तुम ऐसी बात क्यों कर रहे हो, ठीक तो हो?’ धीरज ने उसे सोफे पर एक तरफ बिठाया,’ कहो क्या परेशानी है?’
‘ तुमने उसे मारने के लिए क्यों कहा?’ राज ने सवाल किया
‘ अच्छा..।’ धीरज ने अपनी कमर को पीछे टिकाकर एक लंबी सांस भरी,’ राज तुम अब तक कई गुनाह कर चुके हो। कुछ गुनाहों पर बेशक तुमने सवाल उठाये हों , पर आज ये तुम्हारी उठाई हुई उंगली मुझे चुभ रही है। क्या जानना चाहते हों तुम?’
‘ बस मुझे ये जानना है कि आखिर वो मारा क्यों गया?’ राज ने आगे झुकते हुए अड़कर जवाब दिया।
‘ ठीक है, अगर तुम्हें जानना ही है तो’, धीरज ने उसकी तरफ मदिरा की ग्लास बढ़ाते हुए कहा
‘राज़! तुम्हे अब तक मेरे साथ रहते ये बात तो समझ आ ही गयी होगी की मेरे साथ गद्दारी बिल्कुल भी ठीक नही, उसकी अब मुझे कोई जरूरत नही थी। उसने मेरे साथ धोखा किया। बस इसीलिए। क्या तुम मेरे साथ ईमानदार हो राज?’
‘हाँ, बिल्कुल’, राज ने धीरे से जवाब दिया पर धीरज की निगाहें उस पर टिक गई थी। इसी बीच राज ने फिर से सवाल किया
‘मगर उसने कैसा धोखा किया था?’
‘तुम्हे जल्द ही पता चल जाएगा’
धीरज ने उसकी बात को हँसते हुए टाल दिया।
राज, धीरज के रवैये से थोड़ा सहमा हुआ था। वो यह काम छोड़ना तो चाहता था लेकिन वह धीरज को कहने में भी डरता था। वह पैकेट की ओर उत्सुकता दिखाते हुए पूछता है
‘उस पैकेट में ऐसा क्या है?’
‘क्या तुम्हे जानना है?’
‘हां जानना है।’
धीरज पैकेट को उठाता है और सामने रखकर खोलने के लिए कहता है। राज़ उसे खोलता है तो उसमे से हाथ से बनाई हुई तस्वीर और एक चाबी मिलती है।
‘यह तस्वीर और चाबी किसकी है और ये किसने भिजवाई?’
‘मैं तुम्हे अभी सब नही बता सकता। मुझे अभी कहीं जाना है और ये तुम्हारे लिए है।’
धीरज पैकेट में से तह किये हुए कागज़ को निकालता है और राज़ को थमा देता है। राज़ बिना कुछ कहे कागज़ को अपने जेब में रख वहां से चला जाता है।
कुछ देर बाद धीरज एक घर मे जाता है जहां वो एक बच्चे से मिलता है।
‘तो वो तुम हो, तुम्हारा दिया हुआ तोहफा मिला। तुम्हारे बारे में सुना है मैंने कि तुम्हारे अंदर सुपर नेचुरल ताकत है, क्या यह सच है?’
‘ मेरा किसी भी इंसान के ऊपर कोई अधिकार नही। अगर तुम्हे कोई शक हो तो यहां से जा सकते हो।’ बच्चे ने दो टूक में जवाब दिया।
‘नही नही इसमे बुरा मानने वाली क्या बात है। वेसे तुम्हारी उम्र 5 या 6 साल होगी , हैं ना?’
‘हां’
‘ओह, ये बहुत अजीब है तुम तो अभी बच्चे हो। चलो छोड़ो मुझे क्यों बुलाया’
‘तुम्हारी जान को खतरा है’ बच्चे ने गम्भीरता के साथ कहा
धीरज उसे एकटक देखता है और फिर हंस पड़ता है
‘अच्छा तो क्या तुम मुझे बचाना चाहते हो?’
नही, ऐसा होना निश्चित है’
‘पर किसलिए और कौन मारेगा मुझे?’
‘वही शख्स जिसका मन मेरे मन से जुड़ा है। मैं उससे बात कर सकता हूँ लेकिन उसे अभी तक समझ नही आया।’
‘कौन है वो’
‘तुम्हारा खास, राजगुरु’
‘क्या! पर क्यों?’ धीरज ने चौंकते हुए कहा
‘इन सब की वजह उसका परिवार है’
‘ कौन सा परिवार? बस उसकी तो एक पत्नी है’
‘क्या बात है तुम तो समझदार हो।’
वह इतना कहता है और वहां से धीरज को जाने के लिये कहता है।धीरज बिलकुल स्तब्ध रह जाता है। घर के नोकर उसे बाहर जाने के लिए कहते है
‘अच्छा 1 मिनट क्या मैं तुम्हारा असली नाम जान सकता हूँ, अगर तुम बताना चाहो तो’
‘गायत्री’