अनलाॅक- 2
अनलाॅक- 2
देखो बेसमझी मत करना,
सुनो अभी पड़ेगा डरना।
सूखी नदी में कैसे तरना,
पानी हो तो बहता झरना।
जीवन अमूल्य, बचा अगर ना,
सपनों में तू घोल जहर ना।
सोच समझ ही घर से निकलना,
संशय है विषाणु का मरना।
साफ़ मास्क और हाथ धोना,
दो गज की दूरी भूलो ना।
सकारात्मक रहना दूर डगर ना,
अनलॉक- 2 *संभल *कर देर ना।
अरुणा डोगरा शर्मा,
मोहाली। ✍©