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Chitra Bisht
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28 Oct 2024 · 1 min read
अनगिनत सवाल थे
अनगिनत सवाल थे
ज़ेहन में मेरे
मुस्कुराकर देखा तुमने,
लाजवाब हो गए
चित्रा बिष्ट
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