अनकहे अल्फाज़
अनकहे अल्फाज़:
.
लगा तो था कि
अल्फाज़ों की बाढ़ आई है.
फिर जाने क्या हुआ कि
अल्फाज़ कहां चले गए
. अल्फाज़ो की जगह
चन्द सिसकियां सुनाई दी
सिमटी सिमटी सी.
आसुओं में नहाई सी
रुलाई नहीं थी
लगा
उदास बादल
रुके रुके से
आसमानों में
तैरते रहे.
बादल छाए रहे
बरसे नही
जैसे आसमान के
चेहरे पर चन्द बूंदें
बरसते पानी की हों
जैसे आंसू ढुलक तो आए
पर सूख गए ।
अल्फाज कुछ भी
कहे बिना इधर उधर हो गए
अल्फाजों के पास
कहने को
कुछ भी नही था
अनकहे अल्फाज़ ।
डॉ. करुणा भल्ला