अध खिला कली तरुणाई की गीत सुनाती है।
अध खिला कली तरुणाई की गीत सुनाती है।
उमंगों का बरसात हो और मोरों की सहनाई हो।
क्या बात है प्रकृति भी शान से मुस्कुराती है।
द्रुम-दल मदपान कर ढोल नगाड़े संग झुमते हो।
अध खिला कली तरुणाई की गीत सुनाती है।
उमंगों का बरसात हो और मोरों की सहनाई हो।
क्या बात है प्रकृति भी शान से मुस्कुराती है।
द्रुम-दल मदपान कर ढोल नगाड़े संग झुमते हो।