Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2024 · 2 min read

*अध्याय 12*

अध्याय 12
पवित्र भावों से सुंदर लाल इंटर कॉलेज की स्थापना

दोहा

जन्म मरण है देह का, सौ-सौ इसके नाम
सीखो जीवन की कला, हो जाओ निष्काम

1)
करो नियंत्रण खुद पर मन पर काबू पाना सीखो
मानो सुंदर लाल कह रहे संयम लाना सीखो
2)
याद रखो मैं सदा तुम्हारे आसपास ही रहता
अब तक था साकार देह में निराकार अब बहता
3)
अब मैं ज्योतिपुंज हूॅं ऊर्जा हूॅं मैं अब अविनाशी
वही ज्योति हूॅं जिससे जगमग धाम अयोध्या-काशी
4)
याद करो वह सत्य तुम्हें जो था हर रोज बताता
ईश रच रहा रोज जगत को, फिर हर रोज ढहाता
5)
क्यों रोते हो अरे देह तो सबकी आनी-जानी
नहीं तुम्हारी भी काया यह दिन ज्यादा रह पानी
6)
जग में जो आया है उसको एक दिवस जाना है
जन्म ले रहा आज जो मरण कल उसको पाना है
7)
इसलिए शोक से उबरो, शाश्वत सत्पथ पर बढ़ जाओ
परम प्रेम का करो स्मरण, परम प्रेम में आओ
8)
ताऊ सुंदर लाल स्वर्ग से जब उपदेश सुनाते
राम प्रकाश युवक सुन-सुनकर आनंदित हो जाते
9)
याद उन्हें आते वे पल जो ताऊ संग बिताए
अरे-अरे नव निधि के सुख थे यह जो मैंने पाए
10)
सुंदर लाल सदा मुझसे नि:स्वार्थ प्रेम करते थे
सदा कामना-रहित मार्ग पर वह निज पग धरते थे
11)
लगे सोचने काम किस तरह क्या ऐसा कर जाऊॅं
ताऊ सुंदरलाल रूप साकार सर्वदा पाऊॅं
12)
करुॅं समर्पित तन मन धन जो सारा उनसे पाया
करूॅं आरती उस विचार की जो सब उनसे आया
13)
स्मारक साकार देवता का कुछ ऐसा आए
भक्त बनूॅं मैं और देवता उसमें बैठा पाए
14)
बहुत सोच निर्णय ले विद्यालय रचना की ठानी
यही रहेगी ठीक स्मरण रीति प्रीति यह जानी
15)
फिर क्या था भूखंड खरीदा विद्यालय बनवाया
सुंदरलाल नाम विद्यालय का सुंदर लिखवाया
16)
विद्यालय यह नहीं इमारत ईंटों का यह घर था
यह था परम प्रेम का मंदिर, यह पूजा का स्वर था
17)
परम प्रेम में अर्पण है प्रेमी सर्वस्व लुटाता
परम प्रेम का पथिक भक्ति में डूब-डूब बस जाता
18)
परम प्रेम वह भक्ति जहॉं है अहम् विसर्जन पाता
अहंकार तृण मात्र भक्त में नजर कहॉं है आता
19)
खुद को भूला परम प्रेम के पथ पर वह चल पाया
मन में बसा देव बस वंदन सिर्फ देव का गाया
20)
यह ताऊ का परम प्रेम था संबल बनकर आया
परम प्रेम ने परम प्रेम की पूॅंजी ही को पाया
21)
यह जो राम प्रकाश युवक ने परम प्रेम निधि पाई
जैसे बीज खेत में खेती सौ-सौ गुना बढ़ाई
22)
करते थे निष्काम कर्म बदले की चाह न आई
नहीं कमाया धन ज्यादा पुण्यों की करी कमाई
23)
जीवन सादा सदा सादगी से आजीवन रहते
कभी न कड़वे वचन जगत में किसी एक को कहते
24)
नहीं शत्रु था उनका कोई, मित्र भाव ही पाया
अहंकार से मुक्त, नम्रता के पद को अपनाया
25)
यह चरित्र दो युग पुरुषों का परम प्रेम को गाता
यह चरित्र जो कहता-सुनता परम प्रेम को पाता
26)
धन्य-धन्य जो गाथा दो युग-पुरुषों की गाऍंगे
परम प्रेम में वे डूबेंगे, परम तत्व पाऍंगे

दोहा

भीतर मुरली बज रही, भीतर बसा उजास
परम प्रेम में स्वार्थ का, किंचित कब आवास
__________________________________________________

134 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
Phool gufran
मुक्तक
मुक्तक
Rajesh Tiwari
छुपा कर दर्द सीने में,
छुपा कर दर्द सीने में,
लक्ष्मी सिंह
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
शेखर सिंह
पिछला वक़्त अगले वक़्त के बारे में कुछ नहीं बतलाता है!
पिछला वक़्त अगले वक़्त के बारे में कुछ नहीं बतलाता है!
Ajit Kumar "Karn"
भारती के लाल
भारती के लाल
पं अंजू पांडेय अश्रु
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#शीर्षक- नर से नारायण |
#शीर्षक- नर से नारायण |
Pratibha Pandey
कैसी निःशब्दता
कैसी निःशब्दता
Dr fauzia Naseem shad
గురువు కు వందనం.
గురువు కు వందనం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कि  इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
कि इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
Mamta Rawat
*हिंदी तो मेरे मन में है*
*हिंदी तो मेरे मन में है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सजल
सजल
seema sharma
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
पूर्वार्थ
हार से डरता क्यों हैं।
हार से डरता क्यों हैं।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
चार मुक्तक
चार मुक्तक
Suryakant Dwivedi
कुछ बाते वही होती...
कुछ बाते वही होती...
Manisha Wandhare
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
डॉ.सीमा अग्रवाल
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
समर्पण
समर्पण
Sanjay ' शून्य'
निशाचार
निशाचार
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
Surinder blackpen
" जब "
Dr. Kishan tandon kranti
#दोहा
#दोहा
*प्रणय*
मुरधर
मुरधर
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मेरा इतिहास लिखोगे
मेरा इतिहास लिखोगे
Sudhir srivastava
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...