अधूरे हैं हम
***** अधूरे हैं हम ******
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बिन तुम्हारे अधूरे हैं हम,
मिल जाओ तो पूरे हैं हम।
मेरी खुशी का देखो असर,
फूले जैसे भटूरे हैं हम।
कौन चल पाया साथ सदा,
हम वक्त से भी धीरे हैं हम।
है न छत और कोई आसरा,
बस तुम्हाते सहारे हैं हम।
कर दिया अर्पण तन मन,
अब तुम्हारे हो गए हैं हम।
लिख दिया जीवन अंतर्मन,
तेरी राहों में खड़े हैं हम।
मनसीरत मददगार ए खुदा,
मुश्किलों में बेचारे हैं हम।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)