Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2024 · 4 min read

अधूरे उत्तर

अधूरे उत्तर

कर्ण सैट की परीक्षा देने के बाद दो महीने के लिए दादाजी के पास गाँव आया था । उसके पिता पिछले कई वर्षों से वर्जीनिया में थे और चाहते थे कि अंडरग्रैड की पढ़ाई शुरू करने से पहले वह कुछ समय अपने पुश्तैनी गाँव में दादाजी के साथ बिताये और अपने जीवन के दृष्टिकोण का विस्तार करे ।

दादाजी पूना विश्वविद्यालय के फ़िज़िक्स विभाग के रिटायर्ड विभागाध्यक्ष थे । दादी के जाने के बाद वह सतारा के पास अपने गाँव आ गए थे , कुछ विशेष नहीं करते थे , बस लंबी सैर, दोपहर को सोना , टेलीविजन पर सीरियल देखना , मन हुआ तो कोई किताब पढ़ लेना, इतना ही करते थे ।

कर्ण के आने से उनमें एक नई स्फूर्ति आ गई थी , अब वह सारा दिन उससे बातें करते रहते । एक दिन वह उसके कमरे में गए तो उन्होंने देखा , वह लैपटॉप पर काम कर रहा है ।

“ शाम के समय इसके सामने क्यों बैठे हो ? “
“ यूनिवर्सिटी का फार्म भरना है । “
“ वह कल करना , अब चलो, सूर्यास्त का समय हो गया, उसे देखूँगा नहीं तो आज के सौंदर्यानुभव। से वंचित हो जाऊँगा । “
कर्ण हंस दिया , “ चलिए । “

रास्ते में दादाजी ने पूछा, “ क्या पढ़ना चाहते हो ? “
“ मैकटरानिक इंजीनियरिंग, और बाद में आरटीफिशयल इंटेलिजेंस ।”
“ क्यों?”
“ क्योंकि इसी में मेरी रूचि है । “

दादाजी बहुत देर तक चुप रहे ,फिर उन्होंने कहा, “ मनुष्य होने के अनुभव का क्या होगा?”

“ शायद वह अधिक अर्थपूर्ण हो जायेगा ।”

“ कैसे?”

“ आप मुझसे क्यों पूछ रहे हैं , आपने सारा जीवन फ़िज़िक्स पढ़ाया है, क्या विज्ञान का छात्र होने के कारण आपका नाता आसपास की प्रकृति से अधिक गहरा नहीं है ?”

“ है , परन्तु मेरा संबंध उसके सौंदर्य से नहीं बदला, मन की भावनाओं से नहीं बदला , जीवन मूल्यों से नहीं बदला ।”
कर्ण ने कहा, “ परन्तु जिस तकनीक का समय आ गया है , उसे रोका नहीं जा सकता ।”

“ क्यों ?”

“ क्योंकि यही इतिहास है, जब से कृषि का विकास हुआ है हम निरंतर बेहतर तकनीक की खोज कर रहे है , ताकि, हम अधिक सुखी जीवन जी सकें , सत्य को थोड़ा और समझ सके , तकनीक के बिना क्या यह संभव था कि हम ब्रह्मांड में पृथ्वी का स्थान समझ सकते ? क्या आप नहीं चाहते हम और अधिक सक्षम हो सकें ?” कर्ण ने उत्तेजना से कहा ।

दादाजी मुस्करा दिये , “ परन्तु इस तकनीक ने हथियार भी तो दिये है। अनेकों देशों की जीवन पद्धति का विनाश करने में सहायता की है , वातावरण को दूषित किया है , यही तकनीक तुम्हें और तुम्हारे पापा को मुझसे दूर ले गई है । “

“ पर यह तो हमेशा से होता आया है, मनुष्य अफ़्रीका से यदि न चलता तो पूरी दुनिया में कैसे फैलता ?”

“ पर वह अकेला तो नहीं चला था ?”

“ तो यह तो अच्छी बात है, आज तकनीक के सहारे मनुष्य स्वतंत्र हो रहा है ।”

दादाजी हंस दिये,” तुम्हारी आरटीफिशयल इंटेलिजेंस तुमसे अधिक इंटेलीजेंट होगी और तुम्हें स्वतंत्र रहने देगी !!! वे लोग जिनके हाथ में यह शक्ति होगी , क्या वह तुम्हें स्वतंत्र रहने देंगे ? क्या आज तक इतिहास में ऐसा हुआ है ? “

“ हम इसके लिए क़ानून बना सकते हैं ।” कर्ण ने कहा ।

दादाजी फिर हँस दिये, “ तो क्या आज हमारे पास क़ानून नहीं है ? अपराध तो फिर भी होते है । यू एन ओ है , युद्ध फिर भी होते हैं ।”

“ परन्तु ऐ आय में भावनायें नहीं होगी ।” कर्ण ने ज़ोर देते हुए कहा ।

दादाजी के चेहरे पर अवसाद उभर आया ,” अभी तुम बच्चे हो इसलिए पूरी तरह समझ नहीं रहे, उसमें भावनायें हमसे अधिक तीव्र होंगी , क्योंकि वह भी मस्तिष्क का हिस्सा है । मनुष्य स्वयं शेष प्राणियों से अधिक बुद्धिमान है, इसलिए उसकी भावनायें भी अधिक विकसित हैं, चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक हों । मनुष्य के पास जो आज तर्क शक्ति है, वह सदियों के प्रयास के बाद प्राप्त हुई है, उसकी यात्रा भावनाओं से आरम्भ हुई थी, परन्तु ऐ. आई की यात्रा तर्क से आरंभ हुई है, और वह भावनाओं तक स्वयं पहुँच जायेगा, सर्वाइवल आफ द फिटस्ट में उसका विश्वास आज के पूँजीवादियों से कम नहीं होगा, और वह हमें मनुष्य की गरिमा के साथ जीने देगा , इसमें मुझे संदेह है ।”

कर्ण कुछ देर चुप रहा , फिर उसने कहा , “ दादाजी ब्रह्मांड में एक जीवन नष्ट होता है , तो फिर नया आता है, एक बहुत बड़ा सितारा नष्ट हुआ तो सौरमंडल बना , पृथ्वी पर एक तरह का जीवन नष्ट हुआ तो नए जीवन की राह बनी , डायनासोर गए तो मैमल को जगह मिली, यही प्रकृति का नियम है , यदि आज वह समय आ गया है कि ए आय हमसे आगे निकल जाये , तो यह भय क्यों ?”

सूर्य अस्ताचल में था , आकाश की लालिमा से जुड़े दादाजी अपने ही विचारों में मग्न थे , कर्ण ने कहा, “ चलें दादाजी?”

“ हाँ चलो । उन्होंने शिला से उठते हुए कहा । थोड़ी दूर चलने के बाद उन्होंने बातचीत को फिर से जारी करते हुए कहा, “ अच्छा होता यदि हम भावनाओं को पहले उस स्तर पर ले आते , जहां व्यक्ति का जीवन स्वतंत्र होता, उसका अपने निर्णयों पर अधिकार होता , युद्ध न होते , करूणा सर्वव्यापी होती। तब हम सोचते हमें ए आय का क्या करना है , आज तो पूरा विश्व हथियारों की ख़रीद फ़रोख़्त में व्यस्त है , किसके पास फ़ुरसत है, वह सोचे मनुष्य का अगला कदम क्या होना चाहिए ? वह तो बस चल रहा है , अंधकार में , अपने अहम के पीछे, अपनी व्यक्तिगत ताक़त बढ़ाते हुए ।”

दोनों घर पहुँच गए तो कर्ण ने कहा , “ दादाजी मुझे फार्म भरना है , बिना इस तकनीक को समझे , न मैं इसके विरोध में बोल पाऊँगा, न पक्ष में ।”

“ हाँ हाँ , जाओ तुम , और निर्भय होकर रहो । “
“ जी दादाजी । “ कर्ण मुस्करा दिया ।
कर्ण चला गया तो दादाजी के हाथ स्वतः ही जुड़ गए, और कहा, “ ओउम शांति, शांति, शांति ओउम ।”

—- शशि महाजन
Sent from my iPhone

36 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Insaan badal jata hai
Insaan badal jata hai
Aisha Mohan
9 .IMPORTANT REASONS WHY NOTHING IS WORKING IN YOUR LIFE.🤗🤗🤗
9 .IMPORTANT REASONS WHY NOTHING IS WORKING IN YOUR LIFE.🤗🤗🤗
पूर्वार्थ
3458🌷 *पूर्णिका* 🌷
3458🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
मत रो मां
मत रो मां
Shekhar Chandra Mitra
'अहसास' आज कहते हैं
'अहसास' आज कहते हैं
Meera Thakur
अंगुलिया
अंगुलिया
Sandeep Pande
कोई चीज़ मैंने तेरे पास अमानत रखी है,
कोई चीज़ मैंने तेरे पास अमानत रखी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
फिर कब आएगी ...........
फिर कब आएगी ...........
SATPAL CHAUHAN
"फ़िर से आज तुम्हारी याद आई"
Lohit Tamta
हम तुम और इश्क़
हम तुम और इश्क़
Surinder blackpen
चाय की आदत
चाय की आदत
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जो झूठ है वहीं सच मानना है...
जो झूठ है वहीं सच मानना है...
P S Dhami
सर्द और कोहरा भी सच कहता हैं
सर्द और कोहरा भी सच कहता हैं
Neeraj Agarwal
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
Rj Anand Prajapati
हमनवा
हमनवा
Bodhisatva kastooriya
अपनी हीं क़ैद में हूँ
अपनी हीं क़ैद में हूँ
Shweta Soni
हिंदी साहित्य की नई : सजल
हिंदी साहित्य की नई : सजल
Sushila joshi
*** मन बावरा है....! ***
*** मन बावरा है....! ***
VEDANTA PATEL
मोहब्बत ने मोहतरमा मुझे बदल दिया
मोहब्बत ने मोहतरमा मुझे बदल दिया
Keshav kishor Kumar
चाहत
चाहत
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रोशनी का दरिया
रोशनी का दरिया
Rachana
*वक्त की दहलीज*
*वक्त की दहलीज*
Harminder Kaur
सीख
सीख
Adha Deshwal
🙅आज का मत🙅
🙅आज का मत🙅
*प्रणय प्रभात*
दोहा त्रयी . . . .
दोहा त्रयी . . . .
sushil sarna
मैं हूँ कौन ? मुझे बता दो🙏
मैं हूँ कौन ? मुझे बता दो🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अगर आपको अपने आप पर दृढ़ विश्वास है कि इस कठिन कार्य को आप क
अगर आपको अपने आप पर दृढ़ विश्वास है कि इस कठिन कार्य को आप क
Paras Nath Jha
बच्चे
बच्चे
Shivkumar Bilagrami
"ए एड़ी न होती"
Dr. Kishan tandon kranti
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
Akash Yadav
Loading...