अधूरी हसरत
अधूरी सी हसरत है अधूरा सफर जाने क्यूं।
अधूरी मोहब्बत का हुआ ये असर जाने क्यूं।।
हमने महफिल सजाई थी दिल की मगर।
उसने पिलाया हमको जहर जाने क्यूं।।
चांद तारे फलक में चमकने लगे रात को।
हमको तन्हाई ने मारा इस कदर; जाने क्यूं।।
उसके जलवे फिजा में बिखरने लगे रोज ही।
अश्क आंखों से मेरे झरें बे कदर जाने क्यूं।।
तूने वादा किया था साथ चलने का उम्र भर।
हो गई तू जुदा साथ चलके दो पहर जाने क्यूं।।
मेरी आंखों के आंसू ये कहने लगे बेदर्द से।
तूने मुझको रुलाया इस कदर जाने क्यूं।।