अधूरी रचना
अंतर्मन में चलती चंचलता हो तुम
ख़्वाबों में उठी प्यारी कल्पना हो तुम
मोर की पंखों जैसी सुन्दरता हो तुम
रह गई जो अधूरी वो मेरी रचना हो तुम ।।
अंतर्मन में चलती चंचलता हो तुम
ख़्वाबों में उठी प्यारी कल्पना हो तुम
मोर की पंखों जैसी सुन्दरता हो तुम
रह गई जो अधूरी वो मेरी रचना हो तुम ।।