अधूरी बातें
बातें रह गई थी अधूरी
पिछली मुलाकात में
हो जाए अब तो वो पूरी
हैं आज भी तेरे इंतज़ार में
कोई भी चीज़ अधूरी
कभी अच्छी नहीं होती
ध्यान बटाती है बार बार
जबतक वो पूरी नहीं होती
कहीं ये साजिश तो नहीं है
तुम्हारी मुझे सताने की
तम्माना हो रही है मुझे तो
हाल ए दिल बताने की
थोड़ा तरसाना तो अच्छा है
जुदाई का गम भी अच्छा है
लेकिन तुम छोड़ जाओ मुझे
किसने कहा ये भी अच्छा है
अब आ ही जा, और न सता
काम के बहाने अब और न बना
आकर पास मेरे अब तो सनम
कुछ मेरी सुन और कुछ अपनी सुना
वक्त के अंधेरों से डरता हूं
अकेले में आहें भरता हूं
अब तो आएगा तू जल्दी ही
मैं इसी आस में रहता हूं
तुम्हें बुला रही वो अधूरी बातें
इन वीरान रातों में आकर मुझे जगा दे
अब सही नहीं जाती ये जुदाई मुझसे
कैसे जीयूं अब मैं, आकर मुझे बता दे।