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16 Jan 2024 · 1 min read

अधूरी प्रीत से….

अधूरी प्रीत से ….

लब
खामोश थे
पलकें भी
बन्द थीं

कहा
मैंने भी
कुछ न था
कहा
तुमने भी
कुछ न था

फिर भी
इक
अनकहा
नन्हा सा लम्हा
आँखों की हदें तोड़
देर तक
मेरी हथेली पे बैठा
मुझे
मिलाता रहा
मेरे अतीत से
अधूरी तृषा में लिपटी
अधूरी प्रीत से

सुशील सरना16-1-24

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