”अधूरी तू नहीं होती अधूरा मैं नहीं होता”
निगाहों में अगर यूँ आशिक़ी का अश्क न होता,
तो कमबख्त इस दुनिया में इश्क न होता,
जो मोहब्बत करते ही इज़हार कर दिया होता,
अधूरी तू नहीं होती अधूरा मैं नहीं होता |
निगाहों में अगर यूँ आशिक़ी का अश्क न होता,
तो कमबख्त इस दुनिया में इश्क न होता,
जो मोहब्बत करते ही इज़हार कर दिया होता,
अधूरी तू नहीं होती अधूरा मैं नहीं होता |