अधूरा नहीं हूँ मैं तेरे बिना
अधूरा नहीं हूँ मैं तेरे बिना, मैं कामयाब हूँ तेरे बिना।
वैसे भी तू मेरे काबिल नहीं, नाकाम नहीं मैं तेरे बिना।।
अधूरा नहीं हूँ मैं तेरे बिना—————–।।
अपने को तू खुशनसीब समझ।
मुझको गुलाम तू ना समझ।।
दिल जो अपना माना तुम्हें।
प्यार मैंने किया जो तुम्हें।।
गुस्सा मगर क्यों आया तुम्हें।
तेरे लबों को जब छुआ मैंने।।
फिर भी मैं उम्दा हूँ तेरे बिना।
अधूरा नहीं हूँ मैं तेरे बिना————-।।
माना था मैंने पवित्र तुझे।
होगा इतना घमंड भी तुझे।।
जबकि तेरी हस्ती कुछ भी नहीं।
इज्जत तेरी यहाँ कुछ भी नहीं।।
तुमको हुई है गलतफहमी क्या।
कमजोर क्यों मुझको माना तूने।।
इज्जत मेरी है बहुत तेरी बिना।
अधूरा नहीं हूँ मैं तेरे बिना————।।
सुखी नहीं होगी तू मेरी तरहां।
पूजेंगे नहीं तुमको मेरी तरहां।।
नहीं होंगे पूरे अरमान तेरे।
नहीं होंगे रोशन सितारें तेरे।।
क्या सोच मुझको नकार दिया है।
बेचेगी तू हुस्न एक दिन अपना।।
बहुत मेरे प्रेमी है तेरे बिना।
अधूरा नहीं हूँ मैं तेरे बिना————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)