अधुरे सपने, अधुरे रिश्ते, और अधुरी सी जिन्दगी।
अधुरे सपने, अधुरे रिश्ते, और अधुरी सी जिन्दगी।
फिर भी भागे जा रहे , न जाने क्या मुकम्मल करना है ।
आज है अभी हैं और भागे जा रहे है ।
न जाने कब ऊपर वाला याद करे, और फिर मरना है ।
कभी छोटी सी ख्वाईश भी खुद से भी बड़ी लगती हैं ।
अब क्या होगा तब क्या होगा बस डरना है और डरना है ।।