अधिकतर प्रेम-सम्बन्धों में परिचय, रिश्तों और उम्मीदों का बोझ
अधिकतर प्रेम-सम्बन्धों में परिचय, रिश्तों और उम्मीदों का बोझ शुरू से ही इतना अधिक रहा करता था कि वे सारे सम्बन्ध प्रेम के बजाय कुछ और ही बनते गए। जीवन की धूप ज्यों-ज्यों आप पर बढ़ती जाती है आपका अकेलापन पारदर्शी होता जाता है। इतना कि खुद आप ही अपने-आपको दिखने लगते हैं।
– ‘चोट’ कहानी संग्रह से