अधमी अंधकार ….
अधमी अन्धकार ……
जलता रहा एक दिया
अंधेरों को
रोशनी देने के लिए
करता रहा प्रहार
तम अधम
निर्बल लौ पर
लगातार
रोशनी को हराने के लिए
हार गई आख़िर
अँधेरे के विषैले फ़न से
हो गई चुप रोशनी
अन्धकार में
खुद को छुपाने के लिए
रह गया शेष बेजान
संग बाती के
माटी का दिया
फिर से जलने के लिए
देने को मात
रोशनी से
अधमी
अन्धकार को
सुशील सरना/19-1-26