Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2024 · 1 min read

अधमी अंधकार ….

अधमी अन्धकार ……

जलता रहा एक दिया
अंधेरों को
रोशनी देने के लिए

करता रहा प्रहार
तम अधम
निर्बल लौ पर
लगातार
रोशनी को हराने के लिए

हार गई आख़िर
अँधेरे के विषैले फ़न से
हो गई चुप रोशनी
अन्धकार में
खुद को छुपाने के लिए

रह गया शेष बेजान
संग बाती के
माटी का दिया
फिर से जलने के लिए
देने को मात
रोशनी से
अधमी
अन्धकार को

सुशील सरना/19-1-26

2 Comments · 166 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

क्रिकेट
क्रिकेट
SHAMA PARVEEN
* इस धरा को *
* इस धरा को *
surenderpal vaidya
विराट सौंदर्य
विराट सौंदर्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
ह्रदय की पीड़ा से
ह्रदय की पीड़ा से
Dr fauzia Naseem shad
सफर
सफर
Mansi Kadam
#क़तआ (मुक्तक)
#क़तआ (मुक्तक)
*प्रणय*
सखि आया वसंत
सखि आया वसंत
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
राम
राम
Mamta Rani
प्रीति रीति देख कर
प्रीति रीति देख कर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बिन बोले ही हो गई, मन  से  मन  की  बात ।
बिन बोले ही हो गई, मन से मन की बात ।
sushil sarna
यूँ तो कोई ग़म नहीं
यूँ तो कोई ग़म नहीं
हिमांशु Kulshrestha
यूं तो रिश्तों का अंबार लगा हुआ है ,
यूं तो रिश्तों का अंबार लगा हुआ है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
तू मेरे ख्वाब में एक रात को भी आती अगर
तू मेरे ख्वाब में एक रात को भी आती अगर
Phool gufran
*चुप रहने की आदत है*
*चुप रहने की आदत है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कहांँ गए वो भाव अमर उद्घोषों की?
कहांँ गए वो भाव अमर उद्घोषों की?
दीपक झा रुद्रा
चले आते हैं उलटे पाँव कई मंज़िलों से हम
चले आते हैं उलटे पाँव कई मंज़िलों से हम
Kanchan Gupta
तेरी वफाएं जब मेरा दिल तोड़ जाती है
तेरी वफाएं जब मेरा दिल तोड़ जाती है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पिछले पन्ने 7
पिछले पन्ने 7
Paras Nath Jha
इस पार मैं उस पार तूँ
इस पार मैं उस पार तूँ
VINOD CHAUHAN
हम सब की है यही अभिलाषा
हम सब की है यही अभिलाषा
गुमनाम 'बाबा'
- वो लड़की बदनाम कर गई -
- वो लड़की बदनाम कर गई -
bharat gehlot
माँ
माँ
अनिल मिश्र
"सूरत और सीरत"
Dr. Kishan tandon kranti
दुनिया धूल भरी लगती है
दुनिया धूल भरी लगती है
Rambali Mishra
4633.*पूर्णिका*
4633.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इस दर्द को यदि भूला दिया, तो शब्द कहाँ से लाऊँगी।
इस दर्द को यदि भूला दिया, तो शब्द कहाँ से लाऊँगी।
Manisha Manjari
**तुझे ख़ुशी..मुझे गम **
**तुझे ख़ुशी..मुझे गम **
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
"कष्ट"
नेताम आर सी
*राखी का धागा एक बॅंधा, तो प्रिय पावन संबंध जुड़ा (राधेश्याम
*राखी का धागा एक बॅंधा, तो प्रिय पावन संबंध जुड़ा (राधेश्याम
Ravi Prakash
गुरु...! गूगल दोनों खड़े, काके लागूं पाय....!
गुरु...! गूगल दोनों खड़े, काके लागूं पाय....!
VEDANTA PATEL
Loading...