अद्वितीय कवि
जो लोग किया करते हैं
वह मुझे नहीं करना
जैसे लोग जिया करते हैं
वैसे मुझे नहीं जीना…
(१)
अपनों और गैरों को
सिर्फ़ दिखाने के लिए
जो लोग बना करते हैं
वह मुझे नहीं बनना…
(२)
ईनाम की लालच या
किसी सज़ा के डर से
जो लोग कहा करते हैं
वह मुझे नहीं कहना…
(३)
इस वक़्त की धारा में
बिना हाथ-पैर मारे
किसी लाश की तरह
अब मुझे नहीं बहना…
(४)
ऐसा हूं या वैसा हूं
ठीक हूं मैं जैसा हूं
किसी भी क़ीमत पर
अब मुझे यही रहना…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#RomanticRebel